नीतीश के शराबबंदी का खेल- मंत्री को बचाने के लिए सारे कानून फेल, रामसूरत राय मामले में प्रशासन के नंगे खेल को देखिये

नीतीश के शराबबंदी का खेल- मंत्री को बचाने के लिए सारे कानून फेल, रामसूरत राय मामले में प्रशासन के नंगे खेल को देखिये

PATNA: क्या  नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून का डंडा सिर्फ कमजोर लोगों पर ही बरस रहा है. बिहार सरकार के मंत्री रामसूरत राय के भाई हंसलाल राय के स्कूल से शराब बरामदगी के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आय़े हैं. मंत्री के भाई के खिलाफ तमाम सबूतों के बावजूद बिहार सरकार ने ना उन्हें गिरफ्तार किया और न जमीन जब्त किया. ये दीगर बात है कि नीतीश कुमार बार बार ये कहते रहे हैं कि जहां से शराब की बरामदगी होगी उस जमीन को जब्त कर लिया जायेगा.

तेजस्वी यादव ने किया खुलासा
तेजस्वी यादव ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर मंत्री रामसूरत राय के भाई के स्कूल से शराब बरामदगी मामले में कई तथ्य पेश किये. वैसे सबसे पहले हम पूरे मामले को बता दें. दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 8 नवंबर को मंत्री रामसूरत राय के भाई हंसलाल राय के स्कूल से भारी मात्रा में शराब बरामदगी हुई. मुजफ्फरपुर के बोचहां में स्थित उस स्कूल कैंपस से शराब लदी एक ट्रक औऱ चार पिकअप वैन बरामद हुई. शराब लदी ट्रक हरियाणा से आयी थी औऱ चार पिकअप वैन से उसे मुजफ्फरपुर के उन स्थानों पर भेजा जा रहा था जहां उसे बेचा गया था. 

शराब बरामदगी के बाद जब मामला गरमाया तो मंत्री रामसूरत राय ने ये बयान दिया कि जिस स्कूल से शराब बरामदगी हुई उस स्कूल से उनका कोई संबंध नहीं है. मंत्री ने कहा कि उस स्कूल को उनके भाई ने किसी दूसरे को लीज पर दे रखा था. रामसूरत राय ने कहा था कि दस साल से उनका अपने भाई से कोई रिश्ता नहीं है औऱ वे कभी उस स्कूल में गये ही नहीं.

मंत्री के भाई हैं जमीन-स्कूल के मालिक-संचालक
तेजस्वी यादव ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर मंत्री के दावों की धज्जियां उड़ा दी. तेजस्वी यादव ने उस स्कूल का बिजली बिल पेश किया, जहां से शराब बरामद की गयी थी. बिजली का बिल प्रेमचंद लोग उर्फ हंसलाल राय के नाम पर है. वे मंत्री रामसूरत राय के भाई हैं. तेजस्वी ने पूछा कि अगर मंत्री के भाई ने जमीन लीज पर दी थी तो बिजली बिल उनके नाम पर क्यों है.

कहां है लीज के पेपर 
तेजस्वी यादव ने कहा कि मंत्री रामसूरत राय दावा कर रहे हैं कि उस स्कूल को उनके भाई ने लीज पर दे रखा था. मंत्री लीज के कागजात पेश करें. कोई भी प्रोपर्टी जब लीज पर दी जाती है तो उसका एग्रीमेंट बनता है. वो एग्रीमेंट का पेपर कहां है. तेजस्वी ने पूछा कि एग्रीमेंट की छोड़िये. अगर मंत्री या उनके भाई ने स्कूल लीज पर दिया होगा तो उसके एवज में पैसे आते हैं. मंत्री बतायें कि जिसे स्कूल को लीज पर दिया गया था उसने पेमेंट कैसे किया. क्या उसका कोई हिसाब किताब है. किस खाते में पैसा आया, कितना पैसा आया. 

दिलचस्प बात ये है कि जिस स्कूल परिसर से शराब की बरामदगी हुई थी उसका नाम अर्जुन मेमोरियल स्कूल है. अर्जुन राय मंत्री रामसूरत राय के पिता थे. तेजस्वी यादव ने सवाल पूछा कि लीज पर जमीन लेने वाला व्यक्ति मंत्री के पिता के नाम पर स्कूल क्यों खोलेगा. 

रामसूरत राय ने किया था स्कूल का उद्घाटन
तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर तस्वीर जारी किये जिसमें रामसूरत राय उस स्कूल का उद्घाटन करने के साथ साथ बच्चों के बीच पुरस्कार वितरण कर रहे हैं. उस तस्वीर में मंत्री के साथ साथ उनके भाई हंसलाल राय औऱ स्कूल के प्रिंसिपल अमरेंद्र कुशवाहा भी मंच पर बैठे हैं. ये वही अमरेंद्र कुशवाहा हैं जिन्हें पुलिस ने शराब के कारोबार के आरोप में जेल भेजा है. तेजस्वी यादव ने पूछा कि मंत्री कह रहे हैं कि वे 10 साल से भाई से कोई संबंध नहीं है औऱ ना ही वे कभी स्कूल में गये तो फिर 2017 की ये तस्वीर कहां से आ गयी. इससे साफ होता है कि रामसूरत राय सफेद झूठ बोल रहे हैं.

सूचना देने वाले को ही पुलिस ने जेल भेजा
तेजस्वी यादव ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने सूचना देने वाले को ही शराब कारोबारी करार देकर जेल भेज दिया. उन्होंने कहा कि मंत्री के भाई के स्कूल का प्रिंसिपल अमरेंद्र कुमार ने 8 नवंबर को स्कूल कैंपस में ट्रक से शराब उतरते देखा. उसके बाद उन्होंने तुरंत मंत्री के भाई औऱ स्कूल के मालिक हंसलाल राय को कॉल किया. हंसलाल राय ने फोन नहीं उठाया. फिर अमरेंद्र कुमार ने ही मुजफ्फरपुर के बोचहां थाना पुलिस को फोन कर बताया कि स्कूल में शराब उतर रही है. अमरेंद्र कुमार की सूचना पर ही पुलिस पहुंची. शराब बरामद हुई. लेकिन फिर मंत्री औऱ उनके भाई को बचाने के लिए अमरेंद्र कुमार को ही जेल भेज दिया गया. तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार में दम है तो वह बोचहां थाना का मोबाइल रिकार्ड निकलवाये औऱ देखे कि अमरेंद्र कुमार ने फोन किया था या नहीं.

हत्या करवा सकते हैं मंत्री
तेजस्वी यादव की प्रेस कांफ्रेंस में उस स्कूल के प्रिसिंपल अमरेंद्र कुमार के भाई भी मौजूद थे. अमरेंद्र कुमार के भाई ने कहा कि पुलिस ने मंत्री के भाई हंसलाल राय को बचाने के लिए निर्दोष को जेल भेज दिया. 8 नवंबर को शराब बरामद हुई औऱ 12 नवंबर को ही उन्होंने मुख्यमंत्री, डीजीपी समेत दूसरे अधिकारियों को पत्र भेजकर सारे मामले की जानकारी दी थी. ये बताया था कि कैसे मंत्री के भाई को बचाने के लिए प्रशासन नंगा नाच कर रहा है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्टे उन्हें धमकी दी जा रही है. 11 मार्च को ही कुछ अपराधियों ने उन्हें जान मारने की धमकी दी है. अब डर है कि मंत्री रामसूरत राय उनके पूरे परिवार की हत्या करवा सकते हैं.

हवा हो गया नीतीश का शराबबंदी कानून
तीन दिन पहले विधानसभा में नीतीश सरकार ये एलान कर रही था कि जिस परिसर से शऱाब मिलेगा वहां थाना खोल दिया जायेगा. वैसे भी नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून में इसका खास उल्लेख है कि जहां से शराब बरामद होगी उस जमीन को जब्त कर लिया जायेगा. सवाल ये उठ रहा है कि मंत्री के भाई हंसलाल राय की जमीन-स्कूल को क्यों नहीं जब्त किया गया. पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते समय़ उसमें मंत्री के भाई हंसलाल राय को भी अभियुक्त बनाया था. लेकिन अब तक हंसलाल राय को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

ऐसे में सवाल उठेंगे ही. क्या नीतीश का कानून सिर्फ कमजोर-गरीब लोगों के लिए है. सरकार न किसी को बचाती है औऱ न किसी को फंसाती है का जुमला बिना रसूख वाले लोगों पर ही चलता है. मंत्री रामसूरत राय के मामले में सब फेल हो जाता है.