नीतीश के शासन में हिंदुओं को नहीं मिल रही तरजीह, BJP ने खड़ा किया सवाल

नीतीश के शासन में हिंदुओं को नहीं मिल रही तरजीह, BJP ने खड़ा किया सवाल

PATNA : बिहार में एक साथ सरकार चलाने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच विरोधाभास नजर आता है। तमाम मुद्दों पर दोनों पार्टियों की राय अलग-अलग नजर आती है। लेकिन इन दिनों बीजेपी नेताओं की तरफ से नीतीश कुमार के शासन पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के साथ-साथ दूसरे नेता भी नीतीश की शासन नीति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दरअसल बीजेपी के पूर्व विधायक और पार्टी में संगठन के अंदर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मिथिलेश तिवारी ने नीतीश सरकार के सामने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।


बीजेपी नेता मिथिलेश तिवारी ने कहा है कि अल्पसंख्यकों की तर्ज पर बिहार में बहुसंख्यक यानी हिंदुओं को सरकारी स्तर पर सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। एक तरफ जहां धार्मिक स्तर पर श्रद्धालुओं को नीतीश सरकार सुविधा मुहैया करा रही है। वहीं गया में पिंडदान मेला से लेकर सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान सुविधाओं का बड़ा अभाव है। बीजेपी नेता ने कहा है कि जिस तरह अल्पसंख्यकों के बारे में सरकार ख्याल रख रही है। उसी तरह बहुसंख्यकों के बारे में भी सरकार को ध्यान रखना चाहिए। मिथिलेश तिवारी ने सोशल मीडिया के जरिए लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखते हुए सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए हैं।


उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर यह लिखा है कि.. बिहार सरकार ने राजधानी पटना में करोड़ों की लागत से अल्पसंख्यक समाज के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन हेतु हज भवन का निर्माण कराया है यह स्वागत योग्य है। परंतु अब बहुसंख्यक हिंदू तीर्थ यात्रियों के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के संचालन हेतु पटना और गया में बिहार सरकार द्वारा तीर्थ भवन का निर्माण शीघ्र ही कराया जाय। 


मिथिलेश तिवारी ने आगे लिखा कि पूरी दुनियाँ से हिंदू तीर्थ यात्री अपने पुरखों का पिण्ड दान करने गया आते हैं। लेकिन गया में ही अभी तक सभी सुविधाओं से परिपूर्ण तीर्थ भवन बिहार सरकार ने नहीं बनाया है। पूरे वर्ष देश के कोने- कोने से तीर्थ यात्रा पर जाने और आने वाले हिंदू तीर्थ यात्री तथा पूरे सावन महीने में काँवर यात्रा पर निकलने वाले हिंदू तीर्थ यात्री रेलवे स्टेशन/बस स्टेंड/ हवाई अड्डा पर रात बिताते है उनके लिए तीर्थ भवन नहीं बनाया गया है। जो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।


इसलिए यदि बिहार सरकार वक़्फ़ बोर्ड की ख़ाली ज़मीन पर वक़्फ़ भवन बनाना चाहती है तो धार्मिक न्यास बोर्ड और राज्य में मठ/मन्दिरों की ख़ाली पड़ी भूमि पर भी सरकार को तीर्थ भवन का निर्माण कराना चाहिए। मिथिलेश तिवारी आगे लिखते हैं कि बिहार में पिछले 32 वर्षों से संस्कृत भाषा की उपेक्षा हो रही है, संस्कृत विद्यालय और शिक्षक राज्य सरकार से लम्बे समय से अनुदान की राह देख रहे है लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। संस्कृत देव भाषा है इसलिए संस्कृत के बिना संस्कृति और हिंदू सनातन धर्म कैसे बचेगा ? यह अत्यंत ही चिंता का विषय है । बिहार के छात्रों को वेद और ज्योतिष विद्या की शिक्षा हेतु बनारस और प्रयाग जाना पड़ता है तो बिहार में ये सुविधा क्यों नही ? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी इस पर गंभीरता से ध्यान दें..धन्यवाद