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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 24 Feb 2024 12:47:14 PM IST
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PATNA:-बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों के टाइम-टेबल को लेकर चल रहा असमंजस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सीएम नीतीश कुमार और शिक्षामंत्री विजय चौधरी के सख्त रूख के बाद विभाग के अपर मुख्य सचिव ने थोड़ नरम हो जरूर हुए हैं। लेकिन,अभी तक नए टाइम टेबल से स्कूल संचालन को लेकर पत्र नहीं जारी किया गया है। ऐसे में अब इस मामले में नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी माने जाने वाले भाजपा नेता आरसीपी सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
आरसीपी सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि- बिहार में अभी विद्यालयों के समय को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। जब मुख्यमंत्री जी के द्वारा बिहार विधान सभा में स्पष्टता से कहा गया है कि विद्यालयों का समय सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक होगा। तो फिर इसमें समस्या की बात ही कहां से आती है।
इसके अलावा आरसीपी सिंह ने कहा कि- शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के द्वारा अभी तक मुख्यमंत्री जी के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।यह कहीं से भी उचित एवं सही नहीं है तथा माननीय मुख्यमंत्री जी के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है। विद्यालय के शिक्षक किसी सामान्य दफ़्तर के कर्मचारी नहीं हैं।उनका दायित्व विद्यार्थियों को ज्ञान अर्जन कराना है ।शिक्षक ज्ञानदाता हैं।उनका मनोबल हरेक प्रकार से बढ़ाने की आवयकता है जिससे कि वो पूरे मनोयोग से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
मालूम हो कि, सीएम नीतीश के निर्देश के बाद भी कई जिलों में सुबहर 9 बजे स्कूल नहीं आने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की थी जिसके बाद विपक्षी दल आरजेडी के साथ ही सत्ताधारी दल के नेता भी केके पाठक पर निशाना साधने लगे थे। इसके बाद जेडीयू प्रवक्ता नीरज ने कहा था कि विधायिका कार्यपालिका से उपर होती है,और सीएम नीतीश कुमार ने जो स्कूल की टाइमिग को लेकर घोषणा की है वह पत्थर की लकीर की तरह है।सीएम के निर्देश का पालन केके पाठक को करना ही ही होगा.सीएम।
उधर, इस बात की भी चर्चा तेज है कि शिक्षामंत्री और सत्ताधारी दलों के नेताओं के सख्त रूख के बाद अपर मुख्य सचिव ने अपना रूख बदल लिया .कटिहार दौरे पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब 10 बजे से 4 बजे तक स्कूल में पठन-पाठन होगा और शिक्षकों को स्कूल शुरू होने से पहले आना होगा और वहीं छुट्टी के कुछ देर बाद वे स्कूल से निकल सकतें हैं। इस बीच उन्हें मिशन दक्ष के तहत स्कूल के कमजोर बच्चों को समय देना चाहिए ताकि ये कमजोर बच्चे भी अन्य बच्चों की तरह बन सके।