NALANDA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा पहुंचे विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने हुंकार भरी। मुकेश सहनी ने कहा कि मुझे किसी से दुश्मनी नहीं है मुझे सिर्फ निषाद आरक्षण चाहिए। संकल्प यात्रा के दौरान नालंदा पहुंचने पर मुकेश सहनी का लोगों ने भव्य स्वागत किया। मौसम खराब रहने के बावजूद हजारों की भीड़ उमड़ी थी। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए मुकेश सहनी ने कहा कि आज वही राजा जिसके पास वोट है।
बिहारशरीफ में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी शनिवार को अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के क्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा पहुंचे। सहनी के यहां पहुंचने पर लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया। नालंदा में संकल्प यात्रा की शुरुआत नगरनौसा से हुई। यहां बड़ी संख्या में उपस्थित युवाओं और महिलाओं ने आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाने तथा अधिकारों के लिए संघर्ष करने का हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लिया।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सहनी ने सभी दलों को साफ संदेश दिया कि उन्हें किसी भी राजनीतिक दल से कोई दुश्मनी नहीं है। वे सिर्फ निषादों के आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने हालांकि यह चुनौती भी दे दी कि वह ये अधिकार लेकर रहेंगे। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि अब वह समय चला गया जब राजा के घर में ही राजा पैदा होता था, अब जिसके पास वोट है, वही लोकतंत्र में राजा है। उन्होंने उपस्थित लोगों में उत्साह भरते हुए कहा कि अगर हम एकजुट रहे तो बिहार क्या दिल्ली भी हमारे लिए दूर नहीं है।
नगरनौसा से यह यात्रा बडीहा, गौरैयापुर, केसैरा, बनगच्छा, तेलमर, चिरैयापर नरसंडा, आमर, मोकिमपुर, हरनौत, किचनी, पोवारी होते हुए साकसोहरा पहुंची। इस दौरान सभी स्थानों पर श्री सहनी का जोरदार स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि आज सभी संघर्ष का संकल्प ले रहे है और यही संकल्प निषादों के उज्जवल भविष्य को तय करेगा। सहनी ने लोगों को संकल्प दिलाते हुए कहा कि आज पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में निषादों को आरक्षण मिल रहा है लेकिन बिहार, यूपी, झारखंड को अब भी यह अधिकार नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज केंद्र में बैठी सरकार गलतफहमी में है कि फिर से निषादों का वोट खरीद लेंगे, लेकिन अब निषाद संकल्प लेकर तय कर लिया है जो उनकी सुनेगा वे भी उन्हीं की सुनेंगे, जो हमारी नहीं सुनेगा, उसकी हम भी नहीं सुनेंगे।