नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट नल-जल-योजना का हाल देखिये, लोगों को पानी की बूंद तक नसीब नहीं

नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट नल-जल-योजना का हाल देखिये, लोगों को पानी की बूंद तक नसीब नहीं

EAST CHAMPARAN: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट नल-जल योजना का हाल बिहार में क्या है यह किसी से छिपी हुई नहीं है। यह योजना पटना सहित तमाम जिलों में नाकाम साबित हो रही है। हाल ही में राजधानी पटना के वार्ड 26 की जनता ने इस समस्या को लेकर सड़क पर उतरे थे और स्थानीय विधायक के खिलाफ प्रदर्शन किया था। आलम यह है कि ग्रामीण इलाके में लोगों को पानी की बूंद तक नसीब नहीं हो रही है। भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते दिनों सभी जिलों के डीएम को पेयजल और बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। लेकिन सरकारी व्यवस्था ऐसी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना भी धरातल पर फेल है।


पूर्वी चंपारण के सुगौली में चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं। हीट वेव का कहर लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। तो वही इस परेशानी को झेल रहे लोगों के सामने पेयजल की समस्या भी सामने आ खड़ी है। नगर हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह लोगों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। ज्यादातर जगह के नल की टोंटी टूटी पड़ी है। चापाकल सुख गए है। कहीं चापाकल की हैंडिल गायब हो गये है तो कहीं चापाकल का हेड हीं गायब है। कुल मिलाकर अरबों रुपये की खर्च की गई मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना को भी भ्रष्टाचार का ग्रहण लग चुका है। शहर के मात्र दो-तीन वार्डों में पानी मिल पा रहा है। बाकी सभी जगह पाइप बिल्कुल सूखा हुआ है।


 ग्रामीणों ने बताया कि तकरीबन पांच वर्ष पूर्व पानी टंकी,पाइप लाइन और नल लगाने का काम कराया गया लेकिन आज तक लोगो को नल में जल नसीब नहीं हो पाया है। लोगों का कहना है कि काम बिल्कुल घटिया हुआ है। घटिया सामान का इस्तेमाल किया गया है। सरकारी रुपये की बंदरबांट की गई है। जब कभी नल चालू किया गया तो लोगों के घरों तक पानी पहुंचने के बजाय सड़कों पर पानी बहने लगा। सभी पाइप टूट गए है। टंकी गिर गया है। 


इस भीषण गर्मी में सरकार के द्वारा पेयजल की सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने की बात कही जा रही है लेकिन धरातल पर कुछ भी ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। ठंडा पानी पीने के लिए लोग तरस रहे हैं। लोगों को पानी मिलना सिर्फ सपने जैसा बनकर रह गया है। इस परिस्थिति में लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। वहीं आने-जाने वाले राहगीरों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 


बिहार सरकार लाख दावे कर लें लेकिन यह योजना सिर्फ कागजों पर हीं दिखाई दे रहा है,धरातल पर टांय-टांय फीस है‌। सरकारी चापाकलों की बात की जाये तो लगभग सभी खराब पड़े हैं,पर विभाग द्वारा उनको आज तक ठीक नहीं कराया गया। मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना सात निश्चय योजना सिर्फ नाम का रह गया है। योजना का लाभ लोगों को आज तक नहीं मिल पाया है। वहीं इस भीषण गर्मी में विभाग द्वारा शहरी क्षेत्र में पेयजल की कोई उचित व्यवस्था नही की गई है।

पूर्वी चंपारण से सोहराब आलम की रिपोर्ट..