नीतीश जी, कोरोना ने नहीं सरकारी सिस्टम ने आपके खास मेवालाल चौधरी को मार डाला, पढ़िए कैसे तड़प-तड़प कर मरे पूर्व मंत्री

नीतीश जी, कोरोना ने नहीं सरकारी सिस्टम ने आपके खास मेवालाल चौधरी को मार डाला, पढ़िए कैसे तड़प-तड़प कर मरे पूर्व मंत्री

PATNA : पटना में बैठी सरकार जिस दिन कोरोना से निपटने के लिए सारे इंतजाम कर लेने के दावे कर रही थी उसकी अगली सुबह मेवालाल चौधरी तड़प तडप कर मर गये. मेवालाल चौधरी कोई आम आदमी नहीं थे, वे सरकार के खास थे. पूर्व मंत्री थे, विधायक थे. नीतीश कुमार उनकी मौत को व्यक्तिगत क्षति बता रहे हैं. लेकिन मेवालाल चौधरी की मौत की पूरी कहानी आप जान लेंगे तो आपकी रूप कांप उठेगी. उनके पीए यानि निजी सहायक ने जब मीडिया को मेवालाल चौधरी की मौत की कहानी बतायी तो हमारे रौंगटे खड़े हो गये. जब नीतीश कुमार से व्यक्तिगत संबंध वाले कद्दावर राजनेता की इस तरह मौत हो सकती है तो बिहार में आम लोगों का क्या होगा. 


मेवालाल चौधरी के पीए की जुबानी-रौंगटे खड़े करने वाली कहानी
मेवालाल चौधरी जब जिंदा थे तो उनके पीए थे शुभम सिंह. शुभम सिंह मेवालाल चौधरी की आखिरी सांस तक उनके साथ रहे. हर उस दर्द को देखा जो मेवालाल चौधरी ने झेला. अब वो पूरी कहानी बता रहे हैं. शुभम कह रहे हैं-सर को ना जांच रिपोर्ट मिली, ना इलाज. कब तक जिंदगी की जंग लड़ते. आज विदा हो गये.


पांच दिन में मिली कोरोना की जांच की रिपोर्ट
मेवालाल चौधरी के पीए शुभम बताते हैं“उनकी तबीतय खराब चल रही थी. कोरोना का डर हुआ तो 12 अप्रैल को मुंगेर में RT-PCR जांच के लिए सैंपल दिया. तीन दिन तक इंतजार किय लेकिन रिपोर्ट नहीं आयी. 15 अप्रैल तक रिपोर्ट नहीं आयी और तबीयत बिगड़ती गयी. 15 अप्रैल को जब तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी औऱ सांस लेने में परेशानी होने लगी तो रात में ही मुंगेर से पटना जाने का फैसला लिया.”

शुभम सिंह बताते हैं “15 अप्रैल की रात 8 बजे मेवालाल चौधरी अपनी गाड़ी से मुंगेर से पटना के लिए चले. साथ में मैं भी था. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी इसलिए गाड़ी में एक ऑक्सीजन सिलेंडर रख लिया. रास्ते में बहुत खांसी हो रही थी इसलिए लगातार अदरक चबा रहे थे. किसी तरह हम लोग पटना पहुंचे. रात के साढ़े बारह बज गये थे इसलिए हमलोग किसी अस्पताल में जाने के बजाय सीधे 3 स्ट्रैंड रोड के आवास पर पहुंच गये. तबीयत ज्यादा बिगड़ रही थी, सांस लेने में परेशानी हो रही थी इसलिए घर पर ऑक्सीजन लगाया गया. उसी ऑक्सीजन के सहारे किसी तरह रात कटी.”


IGIMS ने भर्ती करने से ही मना कर दिया
सांस लेने में हो रही भारी परेशानी के बीच रात कटी तो मेवालाल चौधरी अगली सुबह यानि 16 अप्रैल के सुबह पौने आठ बजे पटना के IGIMS में पहुंचे. शुभम बताते हैं “16 अप्रैल की सुबह हम IGIMS पहुंचे. वहां एंटीजेन टेस्ट किया गया, उसमें विधायक जी को कोरोना निगेटिव बता दिया गया. विधायक जी ने खुद कहा कि RT-PCR टेस्ट कर लीजिये. उसका सैंपल लिया गया, लेकिन कहा गया कि रिपोर्ट कल शाम में आयेगी. रिपोर्ट आने के बाद ही भर्ती लेने पर फैसला होगा. विधायक जी ने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ नहीं सुना गया. सारी पैरवी, पद, पहचान बेकार साबित हुई. IGIMS में विधायक जी को भर्ती नहीं किया गया.”


पारस अस्पताल में भर्ती होने के लिए भी डीएम से पैरवी करानी पड़ी
मेवालाल चौधरी के पीए शुभम सिंह बताते हैं “IGIMS में जब विधायक जी को भर्ती करने से इंकार कर दिया गया तो कोई रास्ता नहीं बचा था. विधायक जी ने कहा कि मुझे पारस हॉस्पीटल ले चलो. सांस लेने में दिक्कत हो रही है. पारस अस्पताल में जब चेस्ट का सीटी स्कैन हुआ तो कोरोना का भारी संक्रमण पाया गया. सीटी स्कैन देखते ही डॉक्टर अभिषेक कुमार ने ICU में भर्ती कराने को कहा. लेकिन पारस अस्पताल में आईसीयू कौन कहे जेनरल वार्ड में भी कोई जगह ही खाली नहीं थी. विधायक जी ने पटना डीएम को फोन किया. डीएम के फोन पर अस्पताल में भर्ती तो किया गया लेकिन आईसीयू में जगह नहीं मिली.”


शुभम सिंह के मुताबिक  “विधायक जी को पारस अस्पताल में इमरजेंसी में रखा गया था. पटना DM के कहने पर बेड तो मिला,  लेकिन डॉक्टर ने ICU में भर्ती कराने को कहा था. कई घंटे तक ICU का इंतजार करते रहे लेकिन वहां कोई जगह खाली नहीं थी. इस बीच डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन दिया, इससे थोड़ी राहत मिली. लेकिन शाम होते होते तबीयत और खराब हो गयी.”


10 घंटे बाद मिली आईसीयू में बेड
शुभम सिंह बताते हैं “उस दिन काफी इंतजार के बाद रात में 10-11 बजे के बीच उन्हें ICU में जगह मिली औऱ तब इलाज शुरू हुआ. लेकिन तबीयत तब तक काफी बिगड़ गयी थी. 18 अप्रैल की रात पारस हॉस्पिटल ने कहा कि विधायक जी के लंग्स ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं इसलिए उन्हें वेंटिलेटर पर लाना होगा. मैंने उसकी कागजी कार्रवाई पूरी की. देर रात मैं आवास पर वापस लौट आया. 19 अप्रैल की सुबह चार बजे अस्पताल से फोन आया कि विधायक जी नहीं रहे.”


समझिये मेवालाल चौधरी के साथ क्या हुआ
1. 12 अप्रैल को कोविड टेस्ट का सैंपल दिया, रिपोर्ट 16 अप्रैल की शाम में आयी. अगर रिपोर्ट समय पर आती तो इलाज भी शायद जल्द शुरू होता.


2. आईजीआईएमएस ने एंटीजेन टेस्ट लेने के बाद विधायक मेवालाल चौधरी को भर्ती करने से इंकार कर दिया. उनकी हालत खऱाब थी फिर भी भर्ती नहीं लिया गया. अगले दिन शाम तक आने वाली रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा गया.


3. पारस हॉस्पीटल में सीटी स्कैन में कोरोना का भारी संक्रमण की रिपोर्ट आने के बावजूद ICU में जगह नहीं मिली. पारस हॉस्पीटल में उन्हें इमरजेंसी में रखा गया. मेवालाल चौधरी के पीए शुभम के मुताबिक विधायक जी बता रहे थे कि इमरजेंसी में सिर्फ ऑक्सीजन लगाकर स्लाइन चढ़ाया जा रहा था. 


सवाल ये है कि अगर मेवालाल चौधरी जैसे रसूखदार व्यक्ति, सत्तारूढ पार्टी के विधायक, पूर्व मंत्री के मौत की ये कहानी हो सकती है तो फिर आम आदमी के साथ क्या होगा.