PATNA : नीतीश कैबिनेट की बैठक में लिए गये विधायकों-विधान पार्षदों के वेतन में कटौती के फैसले का कांग्रेस मे समर्थन किया है। लेकिन कांग्रेस ने ये भी सवाल खड़ा किया है कि आखिरकार जिस सरकार का महज पांच-छह महीनों का कार्यकाल बचा हुआ है वह एक साल तक वेतन कटौती का निर्णय कैसे ले सकती है।
कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि बिहार सरकार के कैबिनेट के द्वारा कोरोना उन्मूलन को लेकर विधायकों-विधान पार्षदों के वेतन में कटौती संबंधी निर्णय का हम समर्थन करते हैं तथा यह जनप्रतिनिधियों का प्रथम दायित्व बनता है कि आपदा के घड़ी में आगे बढ़कर अपना योगदान दें।MLA/MLC ने पहले भी अपना एक महीने का वेतन और ऐच्छिक कोष से 50 लाख रुपये का योगदान दिया है।हमें आशा है कि राज्य के लोगों को कोरोना संकट से बचाने हेतु अब बड़े पदों पर बैठे IAS, IPS अधिकारियों को भी खुद से आगे बढ़कर अपना सहयोग देना चाहिए।
प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा कहते रहते हैं कि राज्य के खजाने पे पहला हक आपदा पीड़ितों का होता है लेकिन यहां सरकार अपना खजाना खोलने के बजाय mla, mlc के हीं द्वारा दिये पैसों से कोरोना उन्मूलन करना चाहते हैं? जनप्रतिनिधियों की भावना है कि उनके गृह जिले और निर्वाचन क्षेत्र में इन पैसों का सदुपयोग कोरोना उन्मूलन हेतु किय़ा जाए। साथ ही उन्होनें कहा कि कांग्रेस यह जानना चाहती है कि जब सरकार का कार्यकाल मात्र 5-6 महीने शेष बचे हैं तब वो किस अधिकार से 1 साल के लिए वेतन कटौती का निर्णय लिया है?
प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस को यह शिकायत मिली है कि मुफ्त अनाज देने की मुख्यमंत्री की घोषणा धरातल पर कहीं दिखाई नहीं दे रही है और ना ही प्रयाप्त संख्या में अभी तक पीपीई किट, जांच किट, सर्जिकल मास्क और वेंटिलेटर, ICU बेड का इंतजाम हो सका है जो चिंता का विषय है।आखिर सरकार धन का सदुपयोग क्यों नही कर रही है? सरकार को अपनी फिजूलखर्ची पर भी रोक लगानी चाहिए तथा संयमित खर्च को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक विज्ञापनों से भी परहेज करना चाहिए।