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1st Bihar Published by: Updated Sat, 05 Jun 2021 03:53:43 PM IST
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PATNA : बिहार विकास में काफी पीछे है लेकिन यहां सियासत चरम पर है. निति आयोग की ताजा एसडीजी रैंकिंग आने के बाद बिहार में विकास की कलई खुल गई है. विपक्ष सीएम नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर निशाना साध रहा है. लेकिन जेडीयू कहीं न कहीं अपने ऊपर हो रहे हमलों को बीजेपी की ओर मोड़ना चाहती है और शायद इसलिए ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी के बाद पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' देने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है.
शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के एमएलसी उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर लिखा कि "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, बिहार-झारखंड विभाजन उपरांत प्राकृतिक संपदाओं का अभाव और बिहारवासियों पर प्राकृतिक आपदाओं का लगातार दंश के बावजूद सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA सरकार अपने कुशल प्रबंधन से बिहार में विकास की गति देने में लगी है. लेकिन वर्तमान दर पर अन्य राज्यों की बराबरी संभव नहीं है. निति आयोग की हालिया रिपोर्ट इसका प्रमाण है. अतः विनम्र निवेदन है कि 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' देने की जनता दल यूनाटेड की वर्षो लंबित मांग पर विचार करें और बिहार वासियों को न्याय दें."
आपको बता दें कि नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी साबित हो गया और इसके साथ ही अब नए सिरे से बिहार में विशेष दर्जे को लेकर सियासत शुरू हो गई है. उपेंद्र कुशवाहा से पहले जनता दल यूनाइटेड के कद्दावर और पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार को तुरंत विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की जरूरत है.त्यागी ने कहा है कि नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट से बहुत कुछ ऐसा हो गया है.
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के पिछड़े होने के बाबत सवाल किए जाने पर कहा है कि बिहार की स्थिति पहले से बहुत खराब थी, झारखंड का बंटवारा होने के बाद स्थिति और बिगड़ी और बिना विशेष दर्जे के इसमें कोई बहुत बड़ा सुधार नहीं हो सकता. केसी त्यागी ने कहा कि उन्होंने कई फोरम पर इस बात को पहले भी रखा है. उनकी पार्टी ने कभी भी स्पेशल स्टेटस की मांग को नहीं छोड़ा और आज बिहार में जो कुछ बदलाव हुआ है, वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन है. केसी त्यागी के मुताबिक अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला होता तो आज हालात दूसरे होते. नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार का प्रदर्शन कैसा होता यह वक्त तय कर देता.
जेडीयू नेता के मुताबिक राज्य सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं. बिहार जैसे राज्य के लिए संसाधनों की कमी है लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार ने बिहार में बहुत काम किया है. नीतीश कुमार की सरकार ने अपने बूते बिहार को जीडीपी में आगे रखा लेकिन झारखंड बंटवारे के साथ उद्योग धंधे, थर्मल पावर प्रोजेक्ट और खनिज संपदा झारखंड में चले गए और इसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ा.
इस तरह जेडीयू के दोनों नेता स्ट्राइक और नॉन स्ट्राइक से बैटिंग कर रहे हैं. निति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद बिहार सरकार की काफी आलोचना हो रही है. पिछले डेढ़ दशक से बिहार की गद्दी पर विराजमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली को ख़राब बताया जा रहा है. नीतीश के काम करने के तौर तरीकों पर काफी सवाल उठे रहे हैं. कोरोना महामारी में विपक्ष भी इस मौके को हाथ से नहीं देने जाना चाहता और इसलिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके छोटे बेटे बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एकसाथ हमला बोल रहे हैं.
निति आयोग की एसडीजी रैंकिंग में बिहार के पिछड़ने पर तंज कसते हुए सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर लिखा कि "बधाई हो! आख़िरकार 16 वर्षों की बिहारनाशक मेहनत से नीतीश ने बिहार को नीचे से टॉप करा ही दिया। नीतीश-भाजपा के 16 वर्षों के अथक प्रयास और नकारात्मक राजनीति का ही प्रतिफल है कि बिहार नीचे से शीर्ष पर है। कथित जंगलराज का रोना रोने वाले पूर्वाग्रह से ग्रस्त जीव आजकल ज़ुबान पर ताला जड़ बिलों में छुपे है।बिहार का सत्यानाश हो जाए लेकिन उन लोगों को सामाजिक आर्थिक न्याय गवारा नहीं।"
उधर लालू के बेटे और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लिखा कि "नीतीश कुमार जी की सत्तालोलुप अदूरदर्शी नीतियों, गलत निर्णयों और अक्षम नेतृत्व के कारण बिहार लगातार तीसरे वर्ष भी नीति आयोग की रिपोर्ट में सबसे फिसड्डी प्रदर्शन के साथ सबसे निचले पायदान पर है। BJP-नीतीश के 16 वर्षों के कागजी विकास का सबूत सहित यही सार, सच्चाई व असल चेहरा है।"
विपक्ष के हमलों से साफ़ जाहिर होता है कि लालू-तेजस्वी सीएम नीतीश को केंद्र बिंदु में रखते हुए एनडीए सरकार पर निशाना साध रहे हैं. विपक्ष के इन्हीं हमलों से बचने के लिए जेडीयू ने एक बार फिर से 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा' देने की मांग वाली नई तरकीब निकाली है. पार्टी के दो बड़े और प्रभावी नेता बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. अब ऐसे में स्पष्ट है कि जनता दल यूनाइटेड का प्रयास है कि बिहार की बदहाली का ठीकरा अकेले नीतीश कुमार के ऊपर ना फूटे.
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जो कुछ कहा है, वह बता रहा है कि आगे आने वाले दिनों में बिहार को स्पेशल स्टेटस देने का मुद्दा एक बार फिर गर्म आएगा और इसका असर आने वाले दिनों में अगर बीजेपी-जेडीयू के संबंधों पर पड़े तो कोई अचरज नहीं होगा.