निर्दलीय प्रत्याशी बढ़ा रहे NDA और महागठबंधन की टेंशन, हार-जीत तय करने का रखते हैं दम

निर्दलीय प्रत्याशी बढ़ा रहे NDA और महागठबंधन की टेंशन, हार-जीत तय करने का रखते हैं दम

PATNA : बिहार की कई सीटों पर इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने दोनों गठबंधनो के घटक दलों की नींद उड़ा दी है। ये निर्दलीय प्रत्याशियों में कई हार-जीत का गणित बिगड़ने का दम भी रखते हैं। जिसमें पूर्णिय से पप्पू यादव, सीवान से हिना शहाब और नवादा से राजद के बागी विनोद यादव शामिल हैं। इसकी वजह है कि पिछले (2019) लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे प्रत्याशियों ने एक से लेकर 27 प्रतिशत तक वोट हासिल किये थे। 


दरअसल, लोकसभा चुनाव हो या अन्य चुनाव। हर जगह सत्तापक्ष और विपक्ष के बाद यदि तीसरा कैंडिडेट मजबूत हो तो वह परिणाम को प्रभावित कर सकता है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कई सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई के आसार हैं। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि तीसरे की दमदार मौजूदगी क्या रंग दिखाती है।


मालूम हो कि, वर्ष 2019 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रह कर सबसे अधिक वोट किशनगंज में एआईएमआईएम के उम्मीदवार अख्तरूल ईमान को मिले थे। जो करीब 27 प्रतिशत थे। यही कारण था कि 33.32 प्रतिशत वोट लाकर कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद जावेद यहां से विजयी हुए थे। पिछली बार मधुबनी में कांग्रेस के बागी तथा निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. शकील अहमद को 13.65 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। यहां पर दूसरे स्थान पर रहे वीआईपी के बद्री प्रसाद पूर्वे को शकील अहमद से मात्र एक प्रतिशत अधिक वोट मिले थे। 


उधर, मधेपुरा में जाप उम्मीदवार पप्पू यादव 8.51 प्रतिशत वोट लाये थे। बांका में तीसरे स्थान पर रही निर्दलीय उम्मीदवार पुतुल कुमारी को भी 10.62 प्रतिशत वोट मिले थे। बक्सर में बसपा उम्मीदवार ने 8.13 प्रतिशत वोट लाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया था। सासाराम में बसपा उम्मीदवार 8.86 प्रतिशत वोट लाकर तीसरे स्थान पर थे। बसपा के उम्मीदवार को वाल्मीकिनगर में भी 6.1 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। वहीं, सीवान में माले उम्मीदवार को 7.58 प्रतिशत मत मिले थे।