DELHI : 7 साल से भी ज्यादा के इंतजार के बाद निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. फांसी के दो घंटे पहले तक कानूनी दांव-पेंच के हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद फांसी की सजा तय हुई. आज अहले सुबह सांढ़े पांच बजे निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. कोरोना वायरस के खतरे के बावजूद तिहाड़ जेल के बाहर पूरी रात बड़ी तादाद में लोग खड़े थे ताकि वे निर्भया के दोषियों को फांसी पर जश्न मना सकें.
सुबह चार बजे से हुई फांसी की आखिरी तैयारी
निर्भया कांड के चार दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी देने की तैयारी सुबह बजे से शुरू हुई. फांसी देने के लिए तिहाड जेल में खास तौर पर बुलाये गये पवन जल्लाद ने आखिरी तैयारी की. फांसी घर पहले से तैयार था. फांसी के फंदे तैयार थे. जेल अधिकारियों ने पवन जल्लाद ने फांसी की आखिरी तैयारियों को फाइनल टच दिया.
चारों दोषियों से नाश्ते के लिए पूछा गया
चार बजे सुबह जेल के अधिकारी चारों आरोपियों को जगाने पहुंचे. हालांकि सारे आरोपी जगे हुए थे. जेल के अधिकारियों ने उन्हें चाय नाश्ते के लिए पूछा. तिहाड़ जेल से मिली जानकारी के मुताबिक चारों आरोपियों ने चाय-नाश्ता करने से इंकार कर दिया. फिर उन्हें नहाने को कहा गया. उसके बाद उन्हें ईश्वर को याद करने का मौका दिया गया.
सुबह सवा पांच बजे सेल से निकाले गये चारो दोषी
फांसी देने से लगभग पंद्रह मिनट पहले चारों दोषियों को उनके सेल से निकाला गया. फांसी देने से पूर्व पहले से चले आ रहे तौर तरीकों के हिसाब से उनसे उनकी आखिरी इच्छा पूछी गयी. सेल से निकालने से पहले उन्हें काले कपडे पहनाये गये. फिर उनके हाथों को पीछे करके हथकड़ी डाल दी गयी. सिपाही उन्हें साथ लेकर फांसी घर पहुंचे. वहां जेल अधीक्षक, जेल के डॉक्टर के साथ साथ सुरक्षाकर्मी मौजूद थे. चारों आरोपियों को फांसी के तख्ते पर लाया गया और फिर जल्लाद ने फांसी की सजा को अंजाम दिया.
फांसी के 15 मिनट बाद जेल डॉक्टरों ने चेक कर इसकी पुष्टि की कि चारों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही फांसी की सजा पूरी हुई.
तिहाड़ जेल के सूत्रों के मुताबिक चारों दोषियों को अलग अलग सेल में रखा गया था. उनकी सुरक्षा के लिए तमिलनाडु से पुलिस टीम को बुलाकर तैनात किया गया था. जेल अधिकारियों के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया था ताकि निर्भया कांड के दोषी किसी से बात नहीं कर पायें. तमिलनाडु से आये सुरक्षाकर्मी हिन्दी नहीं जानते थे. लिहाजा उन्हें ही चारों के सेल के बाहर तैनात किया गया था.
बड़ी तादाद में डटे थे लोग
सुप्रीम कोर्ट से जैसे ही फांसी की सजा पर आखिरी मुहर लगी, बड़ी तादाद में लोग तिहाड़ जेल के बाहर पहुंच गये. वे निर्भया कांड के दोषियों की फांसी की सजा पर जश्न मना रहे थे. लोगों का कहना था कि आज देश की बेटियों को इंसाफ मिला है.