DELHI : निर्भया के दोषियों को बचाने की कोशिशों में लगे वकीलों ने कानून की खामियों का भरपूर लाभ उठाया. कानून की किताबों में ऐसे छेद ढ़ूढ़े गये कि दोषियों को फांसी देने के लिए अदालत की ओर से जारी डेथ वारंट को तीन दफे टालना पड़ा. चौथे डेथ वारंट में फांसी हो पायी.
तीन डेथ वॉरंट खारिज
लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका खारिज होने के बाद निर्भया के दोषियों की सजा देने के लिए कोर्ट ने 7 जनवरी 2020 को पहला डेथ वारंट जारी किया. डेथ वारंट में 22 जनवरी 2020 को फांसी का वक्त तय किया गया लेकिन कानूनी दांव पेंच में इस डेथ वारंट को टाल दिया गया.
14 जनवरी को फिर से कोर्ट में डेथ वारंट पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने फिर से फांसी का दिन मुकर्रर किया. 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी की सजा देने का डेथ वारंट जारी किया गया. लेकिन कानूनी दांव पेंच के जरिये दोषियों के वकील इस डेथ वारंट को टलवाने में सफल रहे.
30 जनवरी को एक बार फिर पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी के लिए तारीख तय की. निर्भया के चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया. लेकिन इसी बीच एक दोषी ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगा दी. लिहाजा इस डेथ वारंट को टाल दिया गया.
2 मार्च को आखिरी डेथ वारंट जारी की गयी. कोर्ट ने 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया. तमाम कानूनी दांव-पेंच और याचिकाओं के बावजूद निर्भया के दोषियों के वकील इस डेथ वारंट को टालने में सफल नहीं हो पाये. आखिरकार निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दे दी गयी.