निर्भया कांड के 7 साल 3 महीने और तीन दिन....हैवानियत भरी उस रात से हैवानों के फांसी पर झूलने तक की कहानी

निर्भया कांड के 7 साल 3 महीने और तीन दिन....हैवानियत भरी उस रात से हैवानों के फांसी पर झूलने तक की कहानी

DELHI : आज से ठीक सात साल 3 महीने और 3 दिन पहले हुए निर्भया कांड में आखिरकार इंसाफ हो गया. आज अहले सुबह साढे पांच बजे निर्भया के साथ हैवानियत को भी शर्मसार कर देने वाली घटना को अंजाम देने वाले हैवानों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. ये वो कांड था जिसने पूरे देश को आंदोलित कर दिया गया था. फर्स्ट बिहार झारखंड आपको बता रहा है कि कैसे निर्भया कांड के चार हैवान फांसी के फंदे तक पहुंचे.

हैवानी वाकये से फांसी के फंदे तक की कहानी

16 दिसंबर 2012- दिल्ली के मुनिरका में 6 हैवानों ने पैरामेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप किया. दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी. छात्रा के साथ उसका दोस्त भी मौजूद था. दोनों को बुरी तरह घायल हालत में चलती बस से फेंक दिया गया. इस घटना ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया. 

18 दिसंबर 2012 को पुलिस ने घटना के चार आरोपियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया. 

21 दिसंबर 2012 को मामले एक और दोषी नाबालिग को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. वहीं छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से धर दबोचा गया.

29 दिसंबर 2012 को गैंग रेप की शिकार बनी छात्रा जिंदगी की जंग हार गयी. उसकी मौत हो गयी. पीडिता का इलाज दिल्ली के अस्पताल में चल रहा था. हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया था. सिंगापुर के अस्पताल में ही इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गयी. 

3 जनवरी 2013 को पुलिस ने इस कांड में चार्जशीट दाखिल कर दिया. पुलिस ने इस कांड में पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. मामले का एक आरोपी नाबालिग था, लिहाजा उसे छूट मिली. 

11 मार्च 2013 को इस कांड के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड जेल में आत्महत्या कर ली.

31 अक्टूबर 2013 को जुवेनाइल कोर्ट ने नाबालिग दोषी को गैंगरेप और मर्डर को दोषी माना लेकिन नाबालिग होने के कारण उसे छूट मिली और उसे तीन साल के लिए सुधार गृह भेजने का फैसला सुनाया गया.


13 सितंबर 2013 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया कांड के जीवित आरोपियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी की सजा सुनायी. 

13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखी. 

15 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी की सजा देने पर रोक लगा दी. 

20 सितंबर 2015 को निर्भया कांड के नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया. इसके खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए. 

5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड के चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा. 

दिसंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड के सभी आरोपियों की क्यूरेटिव पिटीशन यानि आखिरी याचिका भी खारिज कर दी. 

7 जनवरी 2020 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पहला डेथ वारंट जारी किया. इसे टाल दिया गया. इसके बाद लगातार तीन डेथ वारंट टाला गया.

20 मार्च 2020 को आखिरकार निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी दे दी गयी.