PATNA: केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बेदखल करने के लिए 26 से अधिक दल एक साथ आए और एनडीए के खिलाफ इंडी अलायंस बना डाला। इस गंठबंधन में वैसे दल भी शामिल हैं जो कभी एक दूसरे से बात करना तो दूर देखने तक को तैयार नहीं थे। बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी दल एकजुट तो हो गए लेकिन इन दलों के बीच ना तो कोई तालमेल है और ना ही एक दूसरे पर भरोसा। बड़ा सवाल है कि क्या मुद्दा विहीन I.N.D.I.A लोकसभा चुनाव में NDA से टक्कर ले पाएगा?
दरअसल, एनडीए से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम चलाई और विपक्ष के 26 से अधिक दल एक साथ आए। बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प तो ले लिया लेकिन इनके पास ना तो कोई मुद्दा है और ना ही एक दूसरे पर भरोसा है। गठबंधन में रहने के बावजूद पांच राज्यों में हुए चुनावों में कांग्रेस समेत गठबंधन में शामिल दलों ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए। नतीजा हुआ कि तीन राज्यों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
तीन राज्यों में करारी राह के बाद कांग्रेस ने पहल की और लोकसभा चुनाव सीट शेयरिंग की कवायद तेज कर दी। कांग्रेस लगातार क्षेत्रीय दलों के नेताओं से संपर्क में है और बैठकों का दौर चल रहा है हालांकि सीट शेयरिंग के पेंच फंसता नजर आ रहा है। सभी दल जीती हुई सीटों को किसी भी हाल में छोड़ने को तैयार नहीं हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी और कांग्रेस सीटों को लेकर आमने सामने आ गए हैं। टीएमसी और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। ममता बनर्जी की पार्टी वे पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटों का ऑफर दिया है।
उधर, दिल्ली में कांग्रेस की केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के नेताओं से लगातार बात चल रही है। केजरीवाल की पार्टी दिल्ली में कांग्रेस को सीट देने के बदले गुजरात, हरियाणा और गोवा में हिस्सेदारी मांग रही है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने साफ कर दिया है कि वह अपनी सीटिंग सीटों को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेगी। 16 से कम सीटों पर जेडीयू समझौता करने को तैयार नहीं है। जेडीयू ने बाकी बचे 24 सीटों पर आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों को आपस में बांट लेने की नसीहत दे दी है। जिस आरजेडी के बिहार में एक भी सांसद नहीं है वह भी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है हालांकि उसने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
उधर, एनडीए में शामिल दल कह रहे हैं कि हमारे यहां सीट बंटवारे में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है और बड़े ही आराम से सीटों का बंटवारा हो जाएगा। एनडीए में शामिल दलों के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत चल तो जरूर रही है लेकिन फिलहाल किसी तरह के विवाद सामने नहीं आया है। विपक्षी खेमें में सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है तो वहीं सत्ताधारी गठबंधन में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर फिलहाल सबकुछ सामान्य है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जिस I.N.D.I.A में किसी भी दल को एक-दूसरे पर भरोसा नहीं है वह 2024 में NDA से कैसे टक्कर ले पाएगा?