PATNA : राजधानी पटना के पूर्वी हिस्से वाली विधानसभा सीट यानी कि पटना साहिब से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ चुके संतोष मेहता ने पार्टी छोड़ दी है. संतोष मेहता ने प्रदेश महासचिव और पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. साल 2015 में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और पटना साहिब के विधायक नंदकिशोर यादव को कड़ी टक्कर देने वाले संतोष मेहता इस बार टिकट नहीं मिलने से काफी नाराज चल रहे थे.
पटना के डिप्टी मेयर रहे संतोष मेहता को पार्टी में बड़ा पद दिया गया था. राजद ने इन्हें प्रदेश महासचिव बनाया था. अपने पद से इस्तीफा देते हुए संतोष मेहता ने लिखा कि "साल 1995 से 2010 तक राजद के किसी भी प्रत्याशी ने 32000 वोट भी नहीं लाया. लेकिन जब मैं पटना साहिब से 2015 के चुनावी मैदान में उतरा तो मुझे कुल 85,316 वोट मिले थे."
आपको बता दें कि पटना साहिब सीट पर ढाई दशक से भारतीय जनता पार्टी का भगवा झंडा ही लहराता रहा है. 1995 में नंदकिशोर यादव वहां से पहली बार जीतकर विधान सभा पहुंचे. उसके बाद आज तक इस सीट पर कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं जीत सका. 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में जब लालू यादव और नीतीश कुमार ने गठजोड़ कर महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था, तब भी नंदकिशोर यादव यहां से अपनी गाड़ी खींचने में कामयाब रहे. उन्होंने बहुत ही कम मतों के अंतर से राजद के संतोष मेहता को पटखनी दी थी. यादव को 88,108 वोट मिले थे जबकि मेहता को 85,316 वोट मिले थे. बीजेपी को कुल 46.89 फीसदी जबकि राजद को 45.40 फीसदी वोट मिले थे.
इस सीट पर वैश्य, कोयरी-कुर्मी और यादव मतदाताओं की बहुलता है. मुस्लिमों की भी अच्छी आबादी है. साढ़े तीन लाख वोटर वाले इस क्षेत्र में वैश्य समाज का 80 हजार वोट है. यादवों का वोट भी 50 हजार से ज्यादा है. कोयरी का वोट 48 हजार और कुर्मी वोट 16 हजार के करीब है. करीब 43 हजार वोट मुस्लिमों के हैं. इलाके में 54 फीसदी पुरुष वोटर हैं. वैश्य, कोयरी, कुर्मी एनडीए के परंपरागत वोटर रहे हैं.
संतोष मेहता ने अपने इस्तीफा में लिखा है कि "इसबार के चुनाव में महागठबंधन के नाम पर ये सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी गई. जिसके कारण मैं राजद के नेतृत्व के इस फैसले से काफी आहत हूं. इसलिए मैं राजद की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं."