PATNA : बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष का नाम भी फाइनल हो गया है। रणनीति के तहत जेडीयू से मुख्यमंत्री तो तो स्पीकर की सीट बीजेपी को दी गई है और पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष बनने वाले हैं। इसको लेकर आज सुबह 10:30 बजे अपना नामांकन किया और यदि इसको लेकर महागठबंधन के तरफ से कोई नामांकन होता है तो फिर बाकी कैंडिडेट का फैसला 15 फरवरी को होगा। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है की आखिर नंद किशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे की रणनीति क्या है और इसकी वजह क्या है।
दरअसल, 26 अगस्त 1953 को जन्मे नंदकिशोर यादव महज 16 साल की उम्र में ही रस 16 साल की उम्र में ही भाजपा के मातृ संगठन से जुड़ गए। 19 71 में यह विद्यार्थी परिषद के सक्रिय सदस्य के रूप में उभरकर सामने आए और 1974 में आंदोलन के दौरान जेल भी गए। नंदकिशोर यादव ने पटना नगर निगम के पार्षद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक की जिम्मेदारी निभाई है यह सात बार से विधायक है और राज्य सरकार में पथ निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं।
1983 से 90 तक भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री, कोषाध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर रहे। 1990-95 तक वे युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वे पार्टी के इकलौते ऐसे प्रदेश अध्यक्ष रहे जो अविभाजित और विभाजित बिहार, दोनों के प्रदेश अध्यक्ष रहे। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वे 1998 से 2003 तक रहे। नंदकिशोर यादव पटना साहिब से लगातार सातवीं बार विधायक हैं। पहला चुनाव उन्होंने 1995 में जीता।
आपको बताते चलें कि राज्यमंत्रिपरिषद ने विधानसभा अध्यक्ष चुनाव को लेकर निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया था। सोमवार को देर शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी व विजय सिन्हा भी मौजूद थे।