MUZZAFARPUR : बिहार में एक तरफ राज्य के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ मंत्री तेजस्वी यादव स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर बनाने को लेकर मिशन- 60 चला रहे हैं। इसके तहत हर दिन राज्य के किसी न किसी जिले के सदर अस्पताल में पहले से बहाल सुविधाओं में बढ़ोतरी की जा रही है। तो, वहीं दूसरी तरफ धरती के भगवान कहे जाने वाले विरादरी के लोग अपने कामों में कोताही बरत रहे हैं। आलम, यह है कि वो अपना सरकारी सुविधा के लिए हजारी का कॉलम तो हर रोज भर रहे हैं , लेकिन जनता को सुविधा देने के नाम पर नदारज नजर आते हैं। इसी कड़ी में अब एक ताजा मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से निकल कर सामने आ रहा है। यहां हर रोज 32 चिकित्सकों की हाजिरी लग रही है, लेकिन काम पर मात्र 10 ही डॉक्टर दिखें। बाकी कहां हैं इस बात की जानकारी वहां मौजूद किसी भी अस्पताल कर्मी के पास नहीं है।
दरअसल, बिहार के मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में हर रोज मरीजों को अपने बिमारी के इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। लेकिन, इसके बाबजूद उनका उस दिन इलाज होगा या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं है। मामला यह है कि, यहां कहने के लिए तो हर दिन 32 डॉक्टर आते हैं , लेकिन इलाज करने वाले मात्र दस ही। इस अस्पताल में मात्र इमरजेंसी, मेडिकल, हड्डी, ईएनटी, आयुष, शिशु, महिला, मानसिक रोग विभाग, पैथोलाजी, एनसीडी सेल में ही डॉक्टर अपने दिखाई देते हैं। जब इस मामले में उपाधीक्षक से सवाल किया तो उनका जवाब भी निराला था, उनका कहना था होंगे यहीं- कहीं, लेकिन अभी कहां हैं इसकी जानकारी अभी नहीं है। हालांकि, यह सवाल एक दैनिक अखबार की टीम द्वारा किया गया हैं। इसलिए इसमें कितनी सच्चाई है, इस बात की पुष्टि हम नहीं करते हैं।
गौरतलब हो कि, मिशन 60 के बाद भी सदर अस्पताल की व्यवस्था बेपटरी होती दिख रही है। राज्य के कई ऐसे सदर और रेफरल अस्पताल अस्पताल में जहां मरीजों के साथ अनदेखी की जा रही है। जबकि, स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत द्वारा खुद भी कई जगह पर निरीक्षण किया गया, इस दौरान उनके द्वारा कई निर्देश दिए थे। लेकिन, इस मामले को हकीकत माल लें तो उनके सभी आदेश हवा में ही तैर रहे हैं। हकीकत में सबकुछ पहले जैसा ही चल रहा है।