मंत्री चंद्रशेखर पर गाज गिरने की इनसाइड स्टोरी: तेजस्वी को अपनी कुर्सी बचाने के लिए सरेंडर करना पड़ा, नीतीश तो बर्खास्त करने पर अड़े थे

मंत्री चंद्रशेखर पर गाज गिरने की इनसाइड स्टोरी: तेजस्वी को अपनी कुर्सी बचाने के लिए सरेंडर करना पड़ा, नीतीश तो बर्खास्त करने पर अड़े थे

PATNA: करीब एक साल पहले की बात है. बिहार के तब के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हिन्दू धर्म और रामचरित मानस को लेकर सरकारी कार्यक्रम में बेहद आपत्तिजनक बातें कही थीं और उस पर सियासी तूफान खड़ा हो गया था. कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर से अपनी बयानबाजी बंद करने को कहा तो वे नीतीश से ही भिड़ गये. वहां मौजूद तेजस्वी यादव भी अपने मंत्री के समर्थन में बोलने लगे. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर चंद्रशेखऱ की पीठ ठोंकी औऱ कहा कि वे बिल्कुल सही कह रहे हैं. 

लेकिन लालू-तेजस्वी औऱ उनकी पार्टी के हीरो चंद्रशेखर को 20 जनवरी की रात शिक्षा विभाग से विदा कर दिया गया. उन्हें गन्ना उद्योग विभाग का मंत्री बना दिया गया है, जहां गाड़ी, बंगला औऱ ऑफिस तो होगा लेकिन काम कुछ नहीं होगा. मलाई जैसी कोई चीज गन्ना उद्योग विभाग में लाख ढूढ़ने पर भी नजर नहीं आयेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 20 जनवरी की रात राजद कोटे के तीन मंत्रियों का विभाग बदल दिया. आलोक मेहता को नया शिक्षा मंत्री बना दिया गया. चंद्रशेखर गन्ना उद्योग विभाग में बिठा दिये गये और ललित यादव को उपकृत करते हुए उन्हें लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के साथ साथ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का भी मंत्री बना दिया गया.

लालू-तेजस्वी का सरेंडर

अब चंद्रशेखर को हटाने के पीछे की इनसाइड स्टोरी जानिये. ये फैसला 19 जनवरी को ही ले लिया गया था. वो भी तब, जब लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव के साथ नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे थे. चर्चा ये हो रही थी कि लालू-तेजस्वी सीट शेयरिंग की बात करने गये हैं. लेकिन अंदरखाने की बात ये है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंग पर एक लाइन बातचीत नहीं की. वे पहले ही कह चुके हैं कि सीट शेयरिंग पर जेडीयू की ओर से विजय चौधरी बात करेंगे. 19 जनवरी की नीतीश से लालू-तेजस्वी की मुलाकात में विजय चौधरी मौजूद नहीं थे. मतलब साफ था सीट शेयरिंग पर चर्चा नहीं हुई.

दरअसल लालू यादव औऱ तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के आवास पर इस कारण पहुंचे थे कि उन्हें अपनी कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा था. बीते एक-डेढ़ महीने से नीतीश कुमार के तेवर बदले बदले से दिख रहे हैं. लगातार ये संकेत मिल रहा है कि नीतीश कुमार कभी भी फिर से पलटी मार सकते हैं. इस मुलाकात से एक दिन पहले ही अमित शाह का बयान सामने आया था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे बंद नहीं हैं. 


ऐसे में तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का सपना टूटता हुआ दिख रहा था. सूत्र बता रहे हैं कि लालू-तेजस्वी बकायदा टाइम लेकर नीतीश से मिलने और उन्हें मनाने गये थे. नाराज नीतीश ने उसी दौरान चंद्रशेखर का मामला उठाया. दरअसल चंद्रशेखर की करतूतों से नाराज होकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक लंबी छुट्टी पर चले गये थे. वे 18 जनवरी को लौटने वाले थे लेकिन फिर अपनी छुट्टी 30 जनवरी तक बढ़ा दी थी. 

सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार ने 18 जनवरी को खुद केके पाठक से बात की थी. उस दौरान पाठक ने अपने मंत्री के कारनामों की पूरी कहानी मुख्यमंत्री को सुनायी थी. नीतीश ने केके पाठक को ये कहकर काम पर वापस बुलाया कि वे हर हाल में शिक्षा मंत्री को ठीक करेंगे. ये जगजाहिर है कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को ठीक करने के लिए ही नीतीश कुमार ने केके पाठक को शिक्षा विभाग में बिठाया था. 

नाराज नीतीश ने गठबंधन तोड़ने की धमकी दी

जेडीयू के एक वरीय नेता ने ऑफ दि रिकार्ड बताया कि नीतीश शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को लेकर इस कदर नाराज थे कि उन्होंने गठबंधन तोड़ने तक की धमकी लालू और तेजस्वी को दे दी थी. 19 जनवरी की मुलाकात के दौरान नीतीश की चेतावनी के बाद लालू और तेजस्वी दोनों सकते में आ गये थे. सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार तो चंद्रशेखर को बर्खास्त करने पर अड़े थे. लालू और तेजस्वी ने उन्हें बड़ी आरजू मिन्नत कर मनाया. फिर नीतीश इस शर्त पर माने की चंद्रशेखर को ऐसा विभाग दिया जायेगा, जिसमें कोई काम ही नहीं होगा. 

19 जनवरी को लालू औऱ तेजस्वी इस बात पर राजी होकर सीएम आवास से बाहर निकले. 20 जनवरी की रात चंद्रशेखर पर गाज गिरने की अधिसूचना निकल गयी. वैसे 20 जनवरी की सुबह ही राज्यपाल के पास मंत्रियों के विभाग बदलने की फाइल भेज दी गयी थी. शाम में वह फाइल राजभवन से वापस लौटी और रात में अधिसूचना जारी कर दी गयी. 

क्या नीतीश मानेंगे

सवाल ये है कि क्या इसके बाद भी नीतीश की नाराजगी दूर होगी. नीतीश ने लालू-तेजस्वी को अपनी बातें खुल कर बता दी हैं. वे इस बात पर नाराज हैं कि राजद के विधायक ये कह रहे हैं कि लालू की कृपा से नीतीश मुख्यमंत्री बने हैं. इसके अलावा नाराजगी इस बात पर भी है कि तेजस्वी यादव के खास माने जाने वाले राजद के प्रवक्ता ये प्रेस कांफ्रेंस कर दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के संकल्पों को पूरा करने में लगे हैं. नाराज नीतीश कुमार ने लालू और तेजस्वी को इन सब पर रोक लगाने को कहा है. अब आगे क्या होगा, ये देखना दिलचस्प होगा.