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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 28 Jul 2023 09:02:24 AM IST
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PATNA : बिहार में अक्सर एक सवाल पूछा जाता है अधिकारी बड़ा हैं या मंत्री? विभिन्न राजनीतिक दल के अलग-अलग नेता इसके जवाब में यह कहते हैं कि मंत्री बड़ा होता है और अधिकारी उसका सहयोगी होता है। वहीं विपक्षी दल के नेता यह कहते हैं कि बिहार में अधिकारी बड़ा होता है और मंत्री छोटा। जबकि संवैधानिक रूप से देखें तो इसका जवाब यह है कि अधिकारी मंत्री के अंदर कार्य करते है। जबकि मंत्री उस राज्य के अंदर निवास कर रहे लोगों के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। इसलिए जनप्रतिनिधि हमेशा सरकारी अधिकारी से बड़ा होते हैं। लेकिन बिहार के अंदर पिछले 22 दिनों से यह सारी बातें गलत साबित होती हुई नजर आती है। यहां शिक्षा विभाग के मंत्री पिछले 22 दिनों से अपने विभाग में नजर नहीं आए हैं या यूं कह लें कि उन्होंने ऑफिस आना ही छोड़ दिया है।
दरअसल, शिक्षा मंत्री और विभाग के अवर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच विवाद के बाद पूरे 22 दिनों तक शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने दफ्तर नहीं गए हैं। शिक्षा विभाग का निर्णय के के पाठक ले रहे हैं और मंत्री आवास से फाइलें निपटाई जा रही है। लेकिन शिक्षा मंत्री अपने विभाग के कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं।जबकि शिक्षा मंत्री और एसीएस के के पाठक के विवाद के बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को 6 जुलाई को सीएम नीतीश कुमार से मिलने के लिए भेजा था। लेकिन इसके बावजूद कुछ भी नहीं बदलता हुआ दिख रहा है। मुख्यमंत्री से शिक्षा मंत्री के मिले हुए लगभग 22 दिन हो गए हैं। लेकिन इसके बावजूद आज तक शिक्षा मंत्री अपने ऑफिस नहीं गए हैं। हालांकि, शिक्षा मंत्री कैबिनेट की बैठक में जरूर नजर आते हैं।
जबकि, शिक्षा मंत्री और के के पाठक विवाद को महज एक छोटी बाते कहने वाले महागठबंधन के नेता ये यह सवाल किया जाता है कि- शिक्षा मंत्री कार्यालय क्यों नहीं जा रहे हैं? तो इस पर कोई भी कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं होते हैं। वो लोग बस इतना कहते हैं जरूरी नहीं की हर काम मंत्री फ=दफ्तर जाकर ही करें, घर से भी काम किया जा सकता है।
वहीं, इस पुरे मामले में शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि- शिक्षा मंत्री के विभाग नहीं आने से कई चीजों पर असर पड़ रहा है। पिछले ही दिनों वित्त विभाग के तरफ से शिक्षा विभाग के कार्यालय में एक प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन इसे लौटा दिया गया क्योंकि विभाग के मंत्री उस समय दफ्तर में मौजूद नहीं थे। हालांकि, बाद में इस प्रस्ताव की मंजूरी के लिए सचिव के माध्यम से मंत्री आवास में इसे भेजा गया। जहां अब इसके मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
जबकि,शिक्षा मंत्री को काफी करीब से जाने वाले कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शिक्षा मंत्री किसी भी विवाद को हवा नहीं देना चाहते हैं। उनका कहना है कि- इसी तरह से शिक्षा विभाग सुधार कर सकता है तो वह इंतजार करेंगे लेकिन यह सुधार बनावट नहीं होनी चाहिए और ना ही केवल थोड़े समय के लिए होना चाहिए। बल्कि इसका असर लंबे समय तक होना चाहिए।
इसलिए वह अपने आवास से ही जरूरी फाइलों को निपटा रहे हैं। शिक्षा मंत्री कैबिनेट बैठक में शामिल होते हैं लेकिन इसके बावजूद वह दफ्तर जाने से बचते हुए नजर आते हैं। इधर इस मामले में वित्त मंत्री का भी कहना है क्या शिक्षा विभाग के मंत्री का विवेक है कि वह फाइलों का निपटारा कैसे करना चाहते हैं। यह प्रावधान भी तय है कि मंत्री अपने आवाज से फाइलों का निपटारा करना चाहते हैं तो वह इसका निपटारा कर सकते हैं इसके लिए उन्हें दफ्तर आने की कोई जरूरत नहीं है।