PATNA : महागठबंधन में मौजूद जीतन राम मांझी को जब राष्ट्रीय जनता दल ने तवज्जो नहीं दी तब पूर्व मुख्यमंत्री गुहार लगाने कांग्रेस के दरवाजे पर चले गए. कांग्रेस ने भरोसा दिया कि जल्द ही महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन होगा. 25 जून को दिल्ली से पटना आए मांझी ने 26 जून के दिन अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की थी. बैठक में तय हुआ कि कांग्रेस को कोऑर्डिनेशन कमिटी का गठन कराने के लिए हफ्ते भर का समय दिया जाए. लेकिन आज वह समय सीमा भी खत्म हो गई.
आरजेडी से पहले ही निराश हो चुके जीतन राम मांझी के आंसू चाह कर भी कांग्रेस नहीं पहुंच पाई. बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने सार्वजनिक तौर पर मीडिया के जरिए कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन किए जाने की मांग रखी थी. यह भी कह दिया था कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर अगर मुहर लगेगी तो इसके लिए महागठबंधन के सभी सहयोगी दलों की सहमति जरूरी होगी. गोयल के बयान को कांग्रेस का अधिकारिक बयान माना जा रहा था. लेकिन बावजूद इसके आरजेडी ने इसका नोटिस तक नहीं लिया और तो और आरजेडी के नेताओं ने यहां तक कह डाला कि गोहिल को बिहार की सियासी जमीन के बारे में अंदाजा नहीं है. कोआर्डिनेशन कमेटी के गठन को लेकर पहले मांझी और कुशवाहा तो आरजेडी ने पहले औकात बताई और अब कांग्रेस को भी उसने इसी कतार में खड़ा कर दिया है.
महागठबंधन में मौजूद सहयोगी दल लगातार सीएम कैंडिडेट का चेहरा तय करने और कोआर्डिनेशन कमेटी बनाए जाने की मांग रख रहे हैं. लेकिन आरजेडी महागठबंधन को अपनी शर्तों पर चलाना चाहता है. तेजस्वी यादव ने बार-बार अपने सहयोगी दलों को यह बताया है कि उनका कद आरजेडी के सामने बेहद छोटा है. आरजेडी के स्वरूप के सामने मांझी भी सकते में है पहले उन्हें यह लग रहा था कि शायद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का कद छोटा है. इसलिए तेजस्वी यादव उन्हें तरजीह नहीं दे रहे. लेकिन अब आरजेडी ने जिस तरह कांग्रेस को दरकिनार किया है. उसके बाद खुद मांझी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह अगला कदम क्या उठाएं. फिलहाल इस मामले पर उनकी पार्टी के नेताओं ने चुप्पी साध रखी है और उन्हें इंतजार कांग्रेस की तरफ से पहल का है.