मणिपुर की आग में राहुल गांधी ने तेल डाला: अमित शाह का जवाब-कांग्रेस राज में सबसे ज्यादा हिंसा हुई, ढ़ाई महीने बाद कैसे लीक हुआ वीडियो

मणिपुर की आग में राहुल गांधी ने तेल डाला: अमित शाह का जवाब-कांग्रेस राज में सबसे ज्यादा हिंसा हुई, ढ़ाई महीने बाद कैसे लीक हुआ वीडियो

DELHI : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मामले पर आज लोकसभा में विस्तृत जवाब दिया. लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ लाये अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा-मणिपुर में नस्लीय हिंसा का इतिहास पुराना है. कांग्रेस के शासनकाल में वहां सालों-साल जातीय हिंसा हुई, हजारों लोग मारे गये. केंद्र सरकार का कोई मंत्री झांकने तक नहीं गया और ना ही कांग्रेसी सरकारों ने संसद में जवाब दिया. अमित शाह ने कहा-मणिपुर में हिंसा लगातार कम हो रही है लेकिन राहुल गांधी जैसे नेता वहां आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री ने पूछा कि मणिपुर का 4 मई का वीडियो जुलाई में संसद सत्र शुरू होने के एक दिन पहले ही क्यों लीक किया गया.


राहुल गांधी ने आग में तेल डाला

लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर को लेकर विस्तृत जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार संसद सत्र शुरू होने के पहले से ही कह रही है कि हम मणिपुर मामले पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन विपक्ष राजनीति कर रहा है. अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हिंसा की आग कम हो रही है लेकिन राहुल गांधी जैसे आग में तेल डालने की कोशिश कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी मणिपुर का दौरा करने गये. इंफाल पहुंच कर कहा कि मैं चूड़ाचांदपुर जाना चाहता हूं. पहले उनका प्लान था कि वे अगले दिन चूड़ाचांदपुर जायेंगे. लेकिन मणिपुर पहुंच कर कहा कि आज ही जायेंगे.


अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को कहीं जाने से रोका नहीं गया था. लेकिन उन्होंने कहा कि हम सड़क मार्ग से इंफाल से चूड़ाचंद्रपुर जायेंगे. पुलिस ने स्थिति खराब होने की बात कहते हुए उनके लिए हेलीकॉप्टर का बंदोबस्त किया और हेलीकॉप्टर से वहां जाने को कहा. लेकिन राहुल गांधी ने कहा कि हेलीकॉप्टर से नहीं जायेंगे. पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया. उसके बाद वे तीन घंटे तक धरना पर बैठ गये. पूरे देश में लाइव टेलीकास्ट किया. फिर अगले दिन हेलीकॉप्टर से चले गये. जब उन्हें हेलीकॉप्टर से ही जाना था तो फिर धरना और सत्याग्रह का ड्रामा क्यों किया. ऐसी हरकतों से मणिपुर की हिंसा और भड़क सकती है.


4 मई का वीडियो संसद सत्र से पहले क्यों लीक हुआ

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर में एक महिला के साथ हुई घटना का वीडियो लीक हुआ. वह बेहद शर्मनाक है. 4 मई के दिन की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसी घटना का कोई समर्थन नहीं कर सकता. लेकिन 4 मई का वीडियो संसद सत्र के एक दिन पहले ही क्यों लीक किया गया. अगर किसी के पास वीडियो था तो उसे पहले ही पुलिस तंत्र को देना चाहिये था. सरकार को देना चाहिये था. उसे सार्वजनिक करके उस महिला के साथ क्या किया गया. अगर वीडियो समय पर दे दिया होता तो 5 मई को ही कार्रवाई हो जाती. हमें जिस दिन वीडियो मिला, उसी दिन हमने सभी 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. सारे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है.


कांग्रेस शासन में सबसे ज्यादा दंगे, कोई झांकने नहीं गया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में नस्लीय हिंसा का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि 1993 में जब केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय वहां नागा-कुकी संघर्ष हुआ. उसमें 750 लोग मारे गये. 200 लोग गायब हो गये. 45 हजार लोग शरणार्थी बन गये. पूरे डेढ़ साल तक हिंसा होती रही. जब संसद में मामला उठा तो उस समय जवाब किसने दिया था. राज्य मंत्री राजेश पायलट ने. प्रधानमंत्री की तो छोड़िये केंद्रीय गृह मंत्री तक ने जवाब नहीं दिया. केंद्र का कोई राज्य मंत्री तक मणिपुर नहीं गया. संसद के अंदर विपक्ष बोलते बोलते थक गया लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री जवाब देने को तैयार नहीं हुए. अब हमसे कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री जवाब दें. 


अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में 1993 में दूसरी बार संघर्ष हुआ, जिसमें 100 लोग मारे. केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने किसी से मुलाकात नहीं की. संसद में जब मामला उठा तो राज्यसभा में गृह मंत्री ने जवाब दिया. लोकसभा में गृह मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया. 


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 1997-98 में जब इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री थे और मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय भी नस्लीय हिंसा हुई. ये पूरे एक साल तक चला. 350 लोग मारे गये. संसद में एक दिन भी चर्चा नहीं हुई. किसी मंत्री तक ने संसद में जवाब नहीं दिया. एक सवाल नहीं उठाने नहीं दिया गया. 2004 मे जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी को मणिपुर में 1700 लोगों का एनकाउंटर कर दिया गया. केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने संसद में कोई जवाब नहीं दिया. 


मणिपुर जाने वाला मैं पहला गृह मंत्री

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हिंसा होने पर वहां पहुंचने वाला मैं देश का पहला गृह मंत्री हूं. आज तक कोई केंद्रीय गृह मंत्री वहां गया ही नहीं. मैं तीन दिनों तक मणिपुर में रहा. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय वहां 23 दिनों तक लगातार जमे रहे. मैं हर सप्ताह वहां के हालक की खुद समीक्षा करता हूं, गृह सचिव हर दो दिन में समीक्षा करते हैं. प्रधानमंत्री मणिपुर की हालत पर इतने गंभीर हैं कि सुबह के चार बजे भी उनका कॉल आता है. फिर सुबह साढ़े 6 बजे भी उनके कॉल से ही मेरी नींद खुलती है. अमित शाह ने कहा कि पिछले साढ़े 6 साल से मणिपुर में भाजपा की सरकार है, लेकिन इस साल के मई तक वहां एक भी दिन कर्फ्यू नहीं लगी, कोई हिंसा नही हुई.


ऐसे हुई हिंसा की शुरूआत

अमित शाह ने मणिपुर में हिंसा की शुरूआत की कहानी बतायी.

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हिंसा के तार म्यांमार से जुड़े हैं. मणिपुर का बडा भाग पड़ोसी देश म्यांमार से जुड़ा है. वहां बार्डर के पार आने जाने के लिए किसी पासपोर्ट-वीजा की जरूरत नहीं होती. ये समझौता कांग्रेस सरकार ने ही किया था. 2021 मे म्यांमार में सरकार बदली औऱ वहां सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. इसके बाद म्यांमार में कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट ने आंदोलन करना शुरू किया. म्यांमार की सेना ने जब कार्रवाई शुरू की तो बडी संख्या में कुकी मणिपुर आ गये. हजारों की संख्या में कुकी मणिपुर पहुंच गये.


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बड़ी तादाद में कुकी शरणार्थी के मणिपुर में आने से वहां के दूसरे समुदाय के लोगों में असुरक्षा की भावना फैली. इसकी खबर हमें थी. लिहाजा हमने 2022 में ही फैसला लिया कि अब सीमा पर फेंसिंग करना है, सीमा को खुला नहीं छोड़ना है. 2022 से ही हमने सीमा की घेराबंदी की कवायद शुरू कर दीय 10 किलोमीटर की फेंसिंग हो चुकी है. 600 किलोमीटर की फेंसिंग का सर्वे चल रहा है. 


अमित शाह ने कहा कि घुसपैठ को नियंत्रित करने के लिए जितने शरणार्थी आये थे उनका हमने इस साल जनवरी में थंब और आई इम्प्रेशन लेना शुरू किया. उनका वोटर और आधार लिस्ट के निगेटिव लिस्ट में डाला. ताकि वे भारत के वोटर लिस्ट में अपना नाम नहीं जुड़वा लें और आधार कार्ड न बनवा लें. फिर भी  मैतेई समुदाय में असुरक्षा की भावना फैली थी. 

कोर्ट के फैसले से शुरू हुई हिंसा

अमित शाह ने कहा कि इसी बीच ये अफवाह फैलायी गयी कि म्यांमार से जो शरणार्थी मणिपुर में आकर रह रहे हैं उनके कैंप को जंगल गांव घोषित किया गया है. इससे दूसरे समुदाय के लोगों को लगा कि अब ये परमानेंट यहीं रहेंगे. तभी मणिपुर हाईकोर्ट ने अचानक बहुत पुराने मामले में फैसला सुना दिया. कोर्ट ने  मैतेई को ट्राइबल घोषित कर दिया. कोर्ट ने ये फैसला सुनाते समय केंद्र सरकार, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग किसी का पक्ष नहीं जाना. इसका रिएक्शन दूसरे समुदाय के लोगों में हुआ. इसके बाद दंगे चालू हुए, जो अब तक चालू है. अमित शाह ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही हिंसा शुरू हुई.

लगातार कम हो रही है हिंसा

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हिंसा के बाद हमने लगातार कार्रवाई की. केंद्र सरकार ने वहां के डीजीपी, चीफ सेक्रेट्री और सुरक्षा एडवाइजर को बदल कर दिल्ली से अधिकारियों को भेजा. राज्य सरकार ने कोई विरोध नहीं किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहा है लेकिन ये तब करना होता है जब राज्य सरकार सहयोग नहीं करे. वहां के सीएम केंद्र सरकार को पूरा सहयोग कर रहे हैं. 


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर में अब तक कुल 152 लोग मारे गये हैं. इसमें मई महीने में 107 लोग, जून में 30, जुलाई में 15 और अगस्त में 7 लोग मारे गये. इसमें भी मई में जो लोग मारे गये उसमें 68 लोग दंगे शुरू होने के पहले तीन दिन में मारे गये थे. इससे ये साफ है कि हिंसा लगातार कम होती जा रही है. अब तक वहां 1106 केस दर्ज किये गये हैं, इसमें 14 हजार 898 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 


वैसे आज भी लोगों में गुस्सा शांत नहीं हुआ है लेकिन हिंसा नहीं हो रही है क्योंकि भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं. षड़यंत्र वाले 6 केस किये थे, 11 केस सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज कराया है. सभी की जांच सीबीआई कर रही है. अमित शाह ने कहा कि यूपीए के समय वहां 6-6 महीने का ब्लॉकेज लगता था. तब पेट्रोल का दाम 1200 रूपये लीटर पहुंच जाता था. हमने मणिपुर में रेलवे लाइन पहुंचा दिया है. अब पेट्रोल समेत दूसरे सामान की आपूर्ति लगातार जारी है.


अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार मैतेई और कुकी समाज से बातचीत कर रही है. दोनों समुदाय से बात कर शांति बहाल कोशिश किया जा रहा है. दोनों समुदाय के साथ मैं खुद बातचीत कर रहा हूं. हम घुसपैठ को भी हम रोकेंगे. इसलिए सारी पार्टियों को एकजुट होकर हिंसा को रोकने की अपील करनी चाहिये.