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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 15 Dec 2024 04:18:24 PM IST
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ज्योतिष शास्त्र में मंगल देव को ऊर्जा और शक्ति का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में मंगल मजबूत होता है, तो जातक साहसी, पराक्रमी और उत्साही होता है, साथ ही उसे करियर और कारोबार में सफलता मिलती है। लेकिन जब मंगल कमजोर होता है, तो जातक को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मंगल दोष के कारण व्यक्ति के विवाह में देरी होती है और वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि मंगल दोष कैसे लगता है, और क्या 28 वर्ष के बाद सचमुच मंगल दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है?
मंगल दोष कैसे लगता है?
मंगल दोष तब लगता है जब कुंडली के विशेष भावों में मंगल ग्रह विराजमान होते हैं। ये भाव होते हैं:
प्रथम भाव (लग्न)
द्वितीय भाव (धन और परिवार)
चतुर्थ भाव (माँ और घर)
सप्तम भाव (विवाह और साझेदारी)
अष्टम भाव (संकट और मृत्यु)
द्वादश भाव (व्यय और नुकसान)
यदि मंगल इन किसी भी भाव में स्थित हो, तो जातक को मंगल दोष का सामना करना पड़ता है। इससे जातक के जीवन में कई कठिनाइयाँ आ सकती हैं, जैसे कि विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में कष्ट, और कई अन्य प्रकार की समस्याएं। मंगल दोष का निवारण करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं।
क्या 28 वर्ष के बाद मंगल दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है?
कई ज्योतिषियों का मानना है कि 28 वर्ष की आयु के बाद मंगल का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इस समय के बाद, मंगल दोष का प्रभाव धीरे-धीरे कमजोर हो सकता है। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि कुंडली की स्थिति पर निर्भर करता है कि मंगल दोष का प्रभाव कब और कैसे समाप्त होगा।
कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि यदि कुंडली में मंगल का स्थान सही हो या मंगल ग्रह अपने स्वराशि में हो, तो दोष का निवारण बिना किसी विशेष उपाय के स्वतः हो सकता है। वहीं, यदि मंगल ग्रह अन्य ग्रहों के साथ मिलकर स्थित हो, जैसे कि गुरु और शुक्र के साथ, तो मंगल का प्रभाव भी कमजोर हो सकता है और दोष का असर कम हो सकता है।
मंगल दोष का निवारण (Mangal Dosh Parihar)
मंगल दोष का निवारण करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
मंगलनाथ मंदिर में पूजा: मंगल दोष निवारण के लिए मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा करना बहुत प्रभावी माना जाता है। इस पूजा से मंगल के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
हनुमान जी की पूजा: हनुमान जी की नियमित पूजा और विशेष रूप से मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगल दोष का निवारण होता है।
मंगल के साथ बृहस्पति और शुक्र का विचार: यदि कुंडली में मंगल ग्रह बृहस्पति और शुक्र के साथ स्थित हो, तो मंगल का प्रभाव कम हो जाता है। ऐसे में इन ग्रहों की पूजा करनी चाहिए।
विशेष मंत्रों का जाप: मंगल दोष से बचने और उसका निवारण करने के लिए "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः मंगलाय नमः" मंत्र का जाप करना लाभकारी हो सकता है।
शादी में जल्दबाजी से बचें: यदि आप मांगलिक हैं, तो शादी में जल्दबाजी न करें। उचित समय और योग्य व्यक्ति से विवाह करना मंगल दोष के प्रभाव को कम कर सकता है।
मंगल दोष एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन उचित उपायों और पूजा-अर्चना से इस दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है। 28 वर्ष के बाद मंगल दोष का प्रभाव कम होने की संभावना होती है, लेकिन इसके लिए कुंडली का गहन अध्ययन और उचित उपायों की आवश्यकता होती है। अगर आप प्रबल मांगलिक हैं, तो विशेषज्ञ ज्योतिषी से सलाह लेकर मंगल दोष का निवारण करवाना उचित रहेगा।