PATNA : एक बात बताइए कि रामचरितमानस मस्जिद में लिखा गया है या नहीं लिखा गया यह कोई देख तो नहीं रहा था। लेकिन एक व्यक्ति तुलसीदास दुबे जी यह बोलते हैं मांग के खइबो मस्जिद में सोबे तो फिर कुछ ना कुछ तो सच्चाई जरूर होगी। रामचरितमानस में कुछ आपत्तिजनक बातें हैं इसको हटा देना चाहिए। यह बातें बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कही है।
दरअसल, बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर से यह कहा गया कि आप ही के पार्टी के विधायक यह कहते हैं कि रामचरितमानस मस्जिद में लिखा गया है। अब अब इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा है कि - रामचरितमानस मस्जिद में लिखा गया या नहीं लिखा गया या कोई देखने को नहीं आया है ना। मेरा अनुसंधान वहां तक है भी नहीं। लेकिन एक व्यक्ति अपने भ्रमण के काल में अपने द्वारा बोलते हैं तुलसीदास दुबे को कहते हैं उसका मतलब है कि मांग कर खाते होंगे और मस्जिद में सोते होंगे। इसलिए यह बात उन लोगों को कहिए जो नफरत पैदा करते हैं।
वहीं, शिक्षा मंत्री ने एक बार फिर से कहा कि, रामचरितमानस में जहां आपत्ति है वहां स्पष्ट है। उस मानस में आपत्तिजनक बातें किसने जोड़ा मैं नहीं जानता हूं। मोहन भागवत जी भी कहते हैं कि स्वार्थी लोगों ने कुछ कुछ जोड़ दिया उसमें। उसकी समीक्षा होनी चाहिए। तो मोहन भागवत जी से सवाल करना चाहिए कि भाई आप तो हिंदूवाद के सबसे बड़े संगठन के प्रवर्तक हैं और आप यह महसूस करते हैं कि जो इस तरह के धर्म ग्रंथ है उसमें कुछ आपत्तिजनक अंश है। उसी अपत्तिजनक अंश को हटाकर ना मानस हो और भी धर्म ग्रंथ हो सामने लाया जाए।
इधर शिक्षा मंत्री के इस बयान पर जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि धर्म आस्था का विषय कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म में आस्था रख सकता है। यह हर किसी का निजी मामला है। लेकिन ताज्जुब की बात है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोग भी अपने सहूलियत के हिसाब से कुछ भी अनर्गल बयान दे देते हैं। ऐसे बयानों से उनको निश्चित रूप से बचना चाहिए। इससे जनता में गलत संदेश जाता है। यह सब भाजपा का एजेंडा है।
उन्होंने कहा कि हमलोगों की वकालत है कि रामचरित मानस से आपत्तिजनक बातें हटानी चाहिए। राम मनोहर लोहिया, बाबा नागार्जुन, पंडित रामचंद्र शुक्ल ने भी कहा है कि रामचरित मानस में कुछ आपत्तिजनक चीजें हैं। इसमें मातृशक्ति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी हैं। बड़ी आबादी जिसे मनुवाद ने शूद्र कहा है उसके खिलाफ अपमानजनक बातें हैं। उस टिप्पणी को हटना चाहिए। हम यही बात तो लगातार कह रहे हैं।
इधर शिक्षा मंत्री के इस बयान पर जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि धर्म आस्था का विषय कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म में आस्था रख सकता है। यह हर किसी का निजी मामला है। लेकिन ताज्जुब की बात है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोग भी अपने सहूलियत के हिसाब से कुछ भी अनर्गल बयान दे देते हैं। ऐसे बयानों से उनको निश्चित रूप से बचना चाहिए। इससे जनता में गलत संदेश जाता है। यह सब भाजपा का एजेंडा है।