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1st Bihar Published by: Updated Wed, 01 Jun 2022 02:51:43 PM IST
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SIWAN: खबर सिवान की है, जहां UPSC के परिणाम ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि सफलता सादगी का परिचायक है। एक गरीब निर्धन परिवार के मेधावी छात्र भी इस परिस्थिति में सफलता की इबादत लिखने का काम कर सकते है।
पुरनहिया प्रखंड के बखार चंडिहा गांव के कहने वाले प्रिंस कुमार ने युपीएससी की परीक्षा मे सफलता का झंडे गाड़कर एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रतिभा अभाव का मोहताज नही होता। प्रिंस के पिता विनय द्ववेदी महज मोटरसाईकिल मैकेनिक है। प्रिंस अपने पुरे परिवार के साथ एक झोपड़ीनुमा कमरे में गांव के ही चौराहे पर रहता है। वह अपने दूकान में काम करता है।
स्थानीय लोग उससे अपनी बाईक की मरम्मत करवाने आते हैं। प्रिंस की मां घरेलू महिला है। प्रिंस ने शुरुआती पढ़ाई लिखाई अपने गांव में ही की थी। देश के सर्वश्रेष्ठ परीक्षा में उसने 426 वां रैंक लाया है। आज अपने जिले और समाज के लिये प्रिंस युवाओ के लिय़े रौल मांडल बन चुका है।