मजदूरों को 10 किलो चावल-आटा देने की मांग, राहुल गांधी ने कहा- 1 किलो चीनी और दाल भी देना चाहिए

मजदूरों को 10 किलो चावल-आटा देने की मांग, राहुल गांधी ने कहा- 1 किलो चीनी और दाल भी देना चाहिए

DELHI : इस वक्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है दिल्ली से जहां कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रेस वार्ता कर रहे हैं. राहुल गांधी ने गरीबों और मजदूरों के लिए मांग रखी है. उन्होंने से केंद्र सरकार से मांग की है कि इस संकट की घड़ी में गरीबों को 10 किलो चावल-आटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वैसे मजदूर जो पलायन कर रहे हैं, उनको एक किलो चीनी और एक किलो दाल भी केंद्र सरकार की ओर से मिलनी चाहिए.


एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में काम करने गए मजदूरों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए उनको अनाज उपलब्ध कराने की बड़ी जरूरत है. गरीबों के बैंक अकाउंट में सीधे पैसा देने की जरूरत है. गरीबों के लिए एक स्ट्रैटिजी यानी कि रणनीति बनाने की जरूरत है. खाद्य सप्लाई एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है और इसी के लिए सरकार को अपने गोदाम गरीब लोगों के लिए खोल देने चाहिए.  आज भी कई लोगों के पास राशन कार्ड तक नहीं है तो ऐसे लोगों के पास खाने पीने का सामान कैसे पहुंचे, इसकी सरकार को चिंता करनी चाहिए.  


कोरोना संकट पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अभी से कोरोना से जीत का दावा करना ठीक नहीं है और अभी तो लड़ाई शुरू हुई है. सरकार को ये समझना होगा कि कोरोना वायरस के कारण देश में आगे चलकर खाद्यान्न की कमी होने वाली है, नौकरियों की भारी पैमाने पर कटौती होने वाली है. सरकार के पास इससे निपटने के लिए क्या प्लान है, इसकी कुछ जानकारी होनी चाहिए.


कोरोना महामारी के बीच पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे राहुल गांधी ने मीडिया के जरिए अपनी बात देशवासियों के सामने रखी है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे हैं. राहुल गांधी ने कहा है कि लॉक डाउन कोरोना का इलाज नहीं है. इसमें उन्होंने कोरोना संकट को लेकर सरकार पर कुछ सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के जरिए हम कोरोना वायरस के संकट को हरा नहीं पाएंगे. ये सिर्फ एक पाऊस बटन यानी कि कुछ देर तक रोकने भर का है. यह उसी तरीके से काम कर रहा है.


राहुल गांधी ने कहा है कि कोरोना वायरस का सबसे बड़ा हथियार मेडिकल फैसिलिटी को बढ़ाना है. राहुल गांधी ने आगे कहा कि देश को एकजुटता के साथ इस महामारी का मुकाबला करना होगा, अगर कोरोना वायरस का मुकाबला करना है, तो टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ानी होगी. भारत में रैंडम टेस्टिंग होनी चाहिए. देश में अब इमरजेंसी जैसे हालात है. एक जिले में औसतन सिर्फ 350 टेस्ट हो रहे हैं, जो काफी नहीं है. अस्पतालों में मेडिकल सुविधाओं को और दुरुस्त करना होगा. देश के अंदर तेज सिंह की रफ्तार को लेकर भी राहुल गांधी ने चिंता जताई है.


उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी चीजों को सेंट्रलाइज्ड किये हैं. उनको कुछ अधिकार राज्यों के मुख्यमंत्रियों और इलाकों के डीएम को भी देने चाहिए. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकारें और जिला प्रशासन का अहम योगदान है. संसाधनों को राज्य सरकारों के हाथ में दीजिये. मुख्यमंत्रियों और जिलाधिकारियों से खुलकर बात कीजिये. उनकी जो मांगें हैं, उनको पूरा कीजिये.


राहुल गांधी ने कहा कि गरीबों तक खाना पहुंचना चाहिए. कोरोना से निपटने के लिए सभी दलों को एक साथ आना चाहिए. एकजुट होकर एक रणनीति बनानी होगी. देश में रैंडम टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ानी होगी. राहुल ने कहा कि केरल में कोरोना को भगाने में काफी सहायता मिली है. उन्होंने अपने संसदीय इलाके के बारे में बताया कि वायनाड में कोरोना के खिलाफ सफलता मिली है.


राहुल गांधी ने कहा कि देश में टेस्टिंग की दर बहुत कम है और इसके चलते ही हमें कोरोना वायरस के मरीजों की सही संख्या के बारे में पता नहीं चल पा रहा है. जब देश से लॉकडाउन हटेगा तो कोरोना वायरस का खतरा और बढ़ेगा. हमें इस सच्चाई को समझना होगा. केंद्र सरकार को राज्यों को पैसा देना चाहिए और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को और ज्यादा ताकत देनी चाहिए. सरकार के पास गोदामों में अनाज भरा हुआ है और इसे सरकार को गरीबों को देना चाहिए.


इससे पहले भी राहुल गांधी ने ट्वीट के माध्यम से टेस्टिंग को लेकर सवाल खड़ा किया था. उन्होंने लिखा था कि टेस्ट किट ख़रीद में देरी की गयी,अब देश में इसकी भयंकर कमी है. हर 10 लाख देशवासियों के लिए मात्र 149 टेस्ट उपलब्ध हैं. लाओस(157), नाइजर(182) जैसे देशों में हमारी गिनती हो रही है. बड़े स्तर पे टेस्टिंग से कोरोना मरीज़ की पहचान और पृथक इलाज संभव है.  इसमें हम अब तक असफल हैं.


राहुल ने इससे पहले ट्वीट कर लिखा था कि "हम सरकार से अपील करते हैं कि इस संकट में आपातकाल राशन कार्ड जारी किए जाएं.  ये उन सभी के लिए हों जो इस लॉकडाउन में अन्न की कमी से जूझ रहे हैं. लाखों देशवासी बिना राशन कार्ड के PDS का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. अनाज गोदाम में सड़ रहा है जबकि सैकड़ों भूखे पेट इंतज़ार कर रहे हैं. किसानों, श्रमिकों, दिहाड़ी मज़दूरों, व्यापारियों, सभी को एक पैमाने से नहीं देखा जा सकता है.  पूर्ण लॉकडाउन कई वर्गों के लिए विपदा बन गया है. देश को “स्मॉर्ट” समाधान की ज़रूरत है. बड़े स्तर पे टेस्ट, वाइरस हॉटस्पॉट की पहचान और घेराव, बाक़ी जगहों पर सावधानी से धीरे-धीरे काम-काज शुरू होना चाहिए.