महमदपुर नरसंहार पर सियासत तेज, LJP की जांच टीम ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात

महमदपुर नरसंहार पर सियासत तेज, LJP की जांच टीम ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात

MADHUBANI: महमदपुर नरसंहार पर सियासत तेज हो गयी है। घटना की बाद बीजेपी-जदयू समेत कई पार्टी के नेताओं ने मधुबनी का दौरा किया और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। वही लोजपा नेता और पूर्व एमएलसी विनोद कुमार सिंह के नेतृत्व में लोजपा की जांच टीम भी बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के महमदपुर गांव पहुंची। जहां पीड़ित परिवार से मुलाकात कर पूरी घटना की जानकारी ली। 


पूर्व एमएलसी और एलजेपी नेता विनोद कुमार सिंह ने इस घटना को दर्दनाक बताया। उन्होंने कहा कि होली के दिन महमदपुर में हुई यह घटना मानवता के लिए कलंक है। इस घटना के लिए पूरी तरह से बेनीपट्टी की पुलिस ही दोषी है। यदि समय रहते कार्रवाई की जाती तो शायद इस तरह की घटनाएं नहीं होती।

पूर्व एमएलसी और लोजपा नेता विनोद कुमार सिंह ने सरकार से पीड़ित परिवारों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और सुरक्षा की मांग की। वही नरसंहार कांड के मुख्य आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी और स्पीडी ट्रायल के जरीय कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कही।

लोजपा नेता विनोद कुमार सिंह ने कहा कि घटना के एक सप्ताह बाद भी मुख्य आरोपी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। आखिर आरोपी पर क्यों नहीं कार्रवाई की जा रही है। जो पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। लोजपा की टीम में ई. सुरेंद्र विवेक, निवर्तमन जिलाध्यक्ष बचनु मंडल, बिनीता सिह सत्येंद्र नायक, हरेराम मिश्रा, प्रमोद कुमार प्रियदर्शी, रीट्टू सिंह, कन्हैया सिंह , कैलाश पासवान, वीरेंद्र कुमार मंडल सहित अन्य लोग मौजूद थे। 

क्या था पूरा मामला 

मधुबनी के बेनिपट्टी थाना क्षेत्र के महमदपुर गांव में होली के दिन रंगों की जगह खून से होली खेली गई। जिसमें कुल पांच लोगों की हत्या कर दी गयी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब 30-35 की संख्या में आये अपराधियों द्वारा ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी जिसमें दो लोगों की घटनास्थल पर मौत हो गयी जबकि   घायल तीन लोगों ने अस्पताल जाने के दौरान ही दम तोड़ दिया। तालाब में मछली मारने के विवाद को लेकर नरसंहार की इस बड़ी घटना को अंजाम दिया गया।   घटना के बाद पुलिस का रवैया भी काफी लापरवाही भरा रहा। एक तो पुलिस घटना के घंटों बाद पहुंची जिससे लोगों में पुलिस के प्रति काफी आक्रोश देखा गया। दूसरी तरफ इसे जातीय हिंसा का रूप देने की भी कोशिश की गई।