पटना आने के बाद नालंदा पहुंची महबूबा मुफ्ती, यूसुफ शाह चक की मजार पर की चादरपोशी

पटना आने के बाद नालंदा पहुंची महबूबा मुफ्ती, यूसुफ शाह चक की मजार पर की चादरपोशी

NALNDA: भाजपा मुक्त भारत बनाने की कवायद में जुटे देश के तमाम विपक्षी दलों के नेताओं की कल यानी 23 जून को राजधानी पटना में बैठक होनी है. इस बैठक की अगुवाई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं. यह बैठक मुख्यमंत्री आयोजित की जाएगी। इसी कड़ी में अब इस बैठक में शामिल होने को लेकर जम्मू -  कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पटना पहुंची. जिसके बाद वो राज्य के नालंदा जिले पहुंची है.


बता दें नालंदा जिले के इस्लामपुर में यूसुफ शाह चक की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित की. बता दें कश्मीर के अंतिम मुस्लिम शासक के रूप में, उनका विश्राम स्थल कश्मीर और बिहार के बीच संबंधों का प्रतीक है. वही महबूबा मुफ्ती ट्विट कर लिखा कि यूसुफ शाह चक की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित की। कश्मीर के अंतिम मुस्लिम शासक के रूप में, उनका विश्राम स्थल कश्मीर और बिहार के बीच संबंधों का प्रतीक है. दुर्भाग्य से साइट पूरी तरह से जर्जर और खंडहर हो चुकी है अपील है कि नीतीश कुमार जी इतिहास के इस अवशेष को संरक्षित करने के लिए कदम उठाएं.


दरअसल, विपक्षी दलों की बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर होगी. इस बैठक में 19 पार्टियां मौजूद रहेगी. इस बैठक में मुख्य रूप से भाजपा व उसके सहयोगियों के खिलाफ संयुक्त विपक्ष का एक ही उम्मीदवार देने पर चर्चा की जाएगी। विपक्षी दलों की बैठक को लेकर आज जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बाद,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, भाकपा महासचिव डी राजा, भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य आज पटना पहुंच जाएंगे. यह लोग राजकीय अतिथिशाला में रुकेंगे और कल विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेंगे.  


मालूम हो कि, 2024 के लोकसभा चुनाव से लगभग 9-10 महीने पटना में कल विपक्षी दलों का बैठक होने वाला है। इस बैठक की अगुवाई खुद बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं।इसको लेकर वो पिछले कई महीनों से देश भर के विपक्षी दलों के नेता से मिल रहे थे और उन्हें साथ आने का निमंत्रण दे रहे थे। अब उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अलग-अलग दलों के नेताओं का जुटान होना है। इन तमाम दलों का मकसद 2024 के चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता कर भाजपा के खिलाफ पूरे देश को मात्र एक विकल्प देना है।