महावीर मंदिर का नैवैद्यम लड्डू है खास; इससे कैंसर मरीजों का होता है इलाज, नये साल पर बिक्री का ये है प्लान

महावीर मंदिर का नैवैद्यम लड्डू है खास; इससे कैंसर मरीजों का होता है इलाज, नये साल पर बिक्री का ये है प्लान

PATNA : नये साल में पटना के महावीर मंदिर के नैवैद्यम लड्डू की चर्चा न हो ऐसा हो नहीं सकता । 2020 बस आने ही वाला है लोग इस मौके पर पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं और इस मौके पर नैवैद्यम लड्डू खरीदना नहीं भूलते। इस बार मंदिर ने लड्डू बेचने की पूरी तैयारी की है। इस लड्डू को खरीदकर आप मानवता की सेवा में शामिल हो जाते हैं।


नये साल में महावीर मंदिर प्रबंधन आठ हजार किलो लड्डू बनवा रहा है। हालांकि पिछले साल की तुलना में  इस बार आधी मात्रा में ही लड्डू का निर्माण किया जा रहा है।  नये वर्ष का पहला दिन बुधवार होने के कारण खपत कम रहने का अनुमान होने की वजह से ऐसा किया जा रहा है।पिछली बार एक जनवरी को मंगलवार होने की वजह से मांग ज्यादा थी। हालांकि महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि मशीन का इस्तेमाल होने के कारण खपत बढ़ने पर महावीर मंदिर काफी कम समय में लड्डू बनवाने में सक्षम है। इसलिए लड्डूओं की कमी नहीं होगी।

पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर में प्रसाद नैवैद्यम लड्डू खरीदते हैं तो आप मानवता की भी सेवा करते हैं। लड्डू के पैसों से कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है। महावीर मंदिर न्यास की तरफ से कैंसर मरीजों को दस हजार रुपये प्रति मरीज और गरीबी रेखा से नीचे वाले मरीजों को 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।  साथ ही महावीर कैंसर संस्थान में भर्ती सभी मरीजों के लिए तीनों समय नि: शुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा मरीजों के अटेंडेंट को लिए 30 रुपये की न्यूनतम दर से भोजन उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही सौ रुपये प्रति यूनिट की दर से ब्लड कैंसर मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है।

नैवैद्यम लड्डू की बिक्री हर साल बढ़ती ही चली जा रही है। वर्ष 2017-18 में मंदिर ने आठ लाख किलो लड्डू बेचकर 19 करोड़ 27 लाख से ज्यादा की कमाई की थी। लड्डू की गुणवत्ता का महावीर मंदिर प्रबंधन खासा ख्याल रखता है। शुद्धता का विशेष ख्याल रखते हुए मक्खन से घी बनाया जाता है और उस घी में लड्डू बनाया जाता है।   तिरूपति मंदिर के तर्ज पर बनने वाले इस लड्डू को बनाने में जिस घी का इस्तेमाल किया जाता है उसकी आपूर्ति सीधे कर्नाटक मिल्क कोआपरेटिव फेडरेशन से की जाती है।