DESK: देश में पेट्रोल, डीजल के साथ साथ रसोई गैस के बढते दाम से अभी ही परेशान हैं तो आपकी मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं। कुछ महीने बाद भारत में पेट्रोल का दाम 150 रूपये प्रति लीटर तक जा सकता है। डीजल का भाव भी 140 रूपये तक जायेगा। एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रिसर्च में ये बातें सामने आयी हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम में इजाफे के कारण दूसरे सामानों के भाव में भी भारी वृद्धि होगी।
ये खबर लोगों को परेशान करने वाली है। भारत में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने पहले ही आम आदमी की मुश्किलों में डाल रखा है। देश के लगभग सभी इलाकों में पेट्रोल का भाव 100 रुपए प्रति लीटर से ऊपर है। देश के ज्यादातर शहरों में में डीजल का भाव भी 100 रुपए से ज्यादा हो गया है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते भाव ने कई औऱ सामानों की कीमत में इजाफा कर दिया।
लेकिन इससे राहत मिलने के बजाय आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ने की संभावना सामने आय़ी है। बाजार का अध्ययन करने वाली प्रतिष्ठित कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने जो अनुमान लगाया है वह आम लोगों को त्राहिमाम कराने वाला है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की में वृद्धि लगातार जारी रहेंगी। कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएंगी। फिलहाल इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल है। इसमें 30 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।
गोल्डमैन सैक्स के रिसर्च में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल के ऑल टाइम हाई लेवल को भी टच कर सकती है। यानि कच्चे तेल की कीमत उस स्तर तक जायेगी जितनी पहले कभी नहीं हुई थी। वैसे 2008 में कच्चे तेल की कीमत सबसे ज्यादा थी। ये वो वक्त था जब दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में थी। कच्चे तेल की कीमत ने उस दौर में दुनिया के कई देशों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब कर दी थी।
150 रूपये लीटर होगा पेट्रोल का दाम
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल का दाम बढ़ने के बाद भारत में पेट्रोल का दाम 150 रुपए प्रति लीटर तक जा सकता है। वहीं, डीजल का दाम 140 रुपए प्रति लीटर हो सकता है। गोल्डमैन सैक्स ने ये अनुमान अगले साल तक के लिए ही लगाया है। उसके बाद भी कच्चे तेल के दाम बढते रहे तो पेट्रोल और डीजल की कीमत ऐसे ही बढती रहेगी। दरअसल भारत में पेट्रोल, डीजल औऱ रसोई गैस का दाम कच्चे तेल की कीमत से जोड़ दिया गया है। कच्चा तेल आयात करने के बाद उसे रिफाइन करने कर मार्केट में लाने में जो खर्च होता है। उस पर केंद्र औऱ राज्य सरकार का टैक्स जोड़ा जाता है। फिर उतना ही पैसा ग्राहक से वसूला जाता है।