PATNA: पूर्व सांसद और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा पर जनता की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है। साथ ही साथ उन्होनें शिक्षकों के हड़ताल के मसले पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा मंत्री के द्वारा प्रकाशित सरकारी प्रेस विज्ञप्ति जनता की गाढ़ी कमाई से अर्जित राशि का दुरूपयोग है। पांच वर्षों तक बेपरवाह रहनेवाली सरकार अपने ही लिखित वादों को निर्ममतापर्वूक कुचल कर मानवीय संवेदना को शर्मसार किया है। सेवाशर्त के अलावे उन्हें बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा समर्पित मांग पत्र पढ़ने का भी समय हड़ताल के 52 दिनों के बाद भी नहीं मिला। उन्हें मुख्यमंत्री से साहस पूर्वक शिष्टता के साथ यह जानकारी प्राप्त करनी चाहिए थी कि उन्होंने नियोजित शिक्षकों को भी सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा का लाभ हू-ब-हू मिलेगा।
उन्होनें कहा कि पांच सितम्बर से लेकर पिछले बजट सत्र तक मुख्यमंत्री की बार-बार की घोषणा और शिक्षा मंत्री के द्वारा भी कहा गया कि विधान परिषद् के शिक्षक प्रतिनिधियों के प्रश्नों के उत्तर में सातवें वेतन के लेवल-7 और लेवल-8 पर सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है बावजूद इसके आखिर इतने कम दिनों में भी विधान परिषद में दिये गये आश्वासन पर भ्रूण हत्या क्यों की जा रही है। इससे प्रमाणित होता है कि सरकार विधानमंडल के प्रायः प्रत्येक सत्रों में माननीय सदस्यों के द्वारा ध्यानाकर्षण, अल्पसूचित, तारांकित एवं संकल्पों के द्वारा विभिन्न विषयों पर हुई बहस के क्रम में वेतन की विषमता , प्रोन्नति, भविष्य निधि आदि की मांगों के संबंध में दिये गये विभागीय उत्तर के प्रति भी ईमानदार नहीं है। उसकी न तो भारतीय संविधान के प्रति ही प्रतिबद्धता है और न तो शांतिपूर्वक, अहिंसक आन्दोलन के मौलिक अधिकार के प्रति भी सरकार अज्ञान और सत्ता के अहंकार में मदोन्मत हैं।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि अल्पवेतनभोगी शिक्षक की इस लंबी हड़ताल में वेतन का भुगतान नहीं होने से काल के गाल में समा रहे हैं, लेकिन मंत्री महोदय की आंखों के आंसू सूख गये हैं। फैज के शब्दों में:-
तुझको कितनों का लहू चाहिए
ऐ-अर्ज-ऐ-वतन,
जो तेरे आरिज-ऐ-बेरंग को गुलनार करे
कितनी आंहों से तेरा कलेजा ठंडा होगा,
कितने आंसू तेरे शहराहों को गुलजार करे।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने दो टूक कहा कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का एक भी सदस्य सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर बिना सम्मानजनक लिखित समझौते के योगदान नहीं करेगा। इसलिए अभी भी समय है कि सरकार बिना विलंब किये बिहार माध्यमिक शिक्षक के प्रतिनिधियों के साथ कोरोना के इस महासंकट में शारीरिक दूरी बनाते हुए हड़ताल जैसी गंभीर समस्या का समाधान करे। कोरोना जैसे वैश्विक संकट के प्रति शिक्षक नौकरशाहों से अधिक संवेदनशील हैं और वे मानवता के व्यापक हित में प्राथमिकी एवं निलंबन जैसी अमानवीय दंडात्मक कार्रवाई के बावजूद बिना वेतन अहर्निश सेवा कर रहे हैं इसके लिए उन्हें सरकारी खजाने से जनता की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग कर विज्ञापन प्रकाशित कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस गंभीर परिस्थिति में राज्य के तमाम राजनीतिक दलों एवं जनसंगठनों से अपील है कि वे मुख्यमंत्री पर नैतिक दवाब डालें जिससे सम्मानजनक वार्ता के द्वारा शिक्षकों की औचित्यपूर्ण मांगों पर विचार किया जा सके।