PATNA: एक-एक कर अपने सारे पुराने साथियों को चलता कर देने वाले RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को साथ देने वाला कोई तो मिला. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी के टिकट की आस में उपेंद्र कुशवाहा को छोड़ कर निकल गये माधव आनंद फिर से वापस आये हैं. माधव आनंद को विधानसभा में ना टिकट मिला था ना ही आरजेडी में कोई जगह. उपेंद्र कुशवाहा भी चुनाव में करारी हार के बाद अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं.
क्या है पूरा माजरा
दरअसल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के पुराने प्रधान महासचिव माधव आनंद ने फिर से पार्टी का पद संभालने का एलान ट्वीटर पर किया है. माधव आनंद ने ट्वीटर पर लिखा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें फिर से प्रधान महासचिव पद संभालने का निर्देश दिया है. इसलिए वे फिर से पार्टी से जुड़ गये हैं.
ये वही माधव आनंद हैं जो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रात के अंधेरे में तेजस्वी प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे थे. उसके बाद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी छोड़ देने का एलान किया था. आरजेडी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने तेजस्वी यादव से विधानसभा का टिकट मांगा था. उधर से टिकट देने का आश्वासन मिला था. लेकिन टिकट दिया नहीं गया. आरजेडी के एक नेता ने बताया कि टिकट देने की बात तो दूर एक बार की मुलाकात के बाद तेजस्वी या उनके सिपाहसलारों ने माधव आनंद से फोन पर बात करने से भी मना कर दिया था. हालत न घर के, न घाट के वाली थी.
उपेंद्र कुशवाहा को भी कोई तो मिला
उधर उपेंद्र कुशवाहा को भी कोई साथ देने वाला मिल गया. दरअसल कुशवाहा ने ऐसी सियासत की है जिससे बुरे दौर में उनका साथ देने वाले सारे लोगों को पार्टी छोड़ कर जाना पड़ा. उपेंद्र कुशवाहा के साथ दशकों तक छाया की तरह रहने वाले राजेश यादव ने भी पार्टी छोड़ दी है. इससे पहले रामबिहारी सिंह, रामकुमार शर्मा, प्रदीप मिश्रा, अभ्यानंद सुमन जैसे तमाम नेताओं को राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी से बाहर जाना पड़ा. ये वैसे नेता थे जिन्होंने उपेंद्र कुशवाहा के सबसे बुरे दौर में उनका साथ दिया था.
जेडीयू में जाने की है चर्चा
विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को बेहद बुरी हार का सामना करना पड़ा. कुशवाहा की पार्टी बहुजन समाज पार्टी से तालमेल कर चुनाव लड़ी लेकिन दो प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर पायी. इससे पहले लोकसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी पांच सीटों पर लड़ी और सब पर चुनाव हारी. खुद कुशवाहा दो लोकसभा क्षेत्रों से लड़कर दोनों क्षेत्रों से हार गये थे. लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी ऐसी दुर्दशा के बाद उपेंद्र कुशवाहा का सियासी अस्तित्व खतरे में आ गया था. उनकी पार्टी की मान्यता खत्म होने पर है.
हालांकि अब उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार से आस है. दरअसल चुनाव में बुरी तरह चोट खाने के बाद नीतीश कुमार अपने पुराने साथियों को ढ़ूढ़ रहे हैं. लिहाजा उपेंद्र कुशवाहा रात के अंधेरे में नीतीश कुमार से मिल आये. जेडीयू सूत्रों के मुताबिक कुशवाहा को अपनी पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड में कर लेने का ऑफर मिला है. बदले में उन्हें एमएलसी और मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया गया है.
उपेंद्र कुशवाहा ने इस पर चुप्पी साध रखी है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात को राजनीतिक शिष्टाचार बताया है. हालांकि ज्यादा दिनों की बात नहीं है जब उपेंद्र कुशवाहा ये कह रहे थे कि नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार की सियासत से निपटाने की साजिश रची थी. वैसे सियासी गलियारे में चर्चा ये भी हो रही थी कि अगर कुशवाहा अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में करेंगे तो कौन लोग उनके साथ मिलन समारोह में शामिल होने आयेंगे. अब शायद वे बता पायें कि उनकी पार्टी में प्रधान महासचिव भी हैं.