Shardiya Navratri 2024 : मां कालरात्रि को समर्पित है सप्तमी का दिन, पूजा विधि के साथ जानें अकाल मृत्यु को टालने वाला मंत्र

Shardiya Navratri 2024 : मां कालरात्रि को समर्पित है सप्तमी का दिन, पूजा विधि के साथ जानें अकाल मृत्यु को टालने वाला मंत्र

PATNA : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। 9 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है। इस दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं। इसलिए इनका नाम कालरात्रि है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि और महत्व के बारे में।


मालुम हो कि माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। मां कालरात्रि के शरीर का रंग एकदम काला है। उनके सिर के बाल बिखरे हुए हैं। तीन आंखें है। उनके गले में  मुंड माला रहती है। नासिका के श्वास प्रस्वास से अग्नि की ज्वालाएं निकलती रहती हैं। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ यानी गधा है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से वर देती हैं तो नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है। बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में लोहे की कटार है।


इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। मां कालरात्रि को महायोगिनी महायोगिश्वरी भी कहा जाता है। माता कालरात्रि को काली, चंडी, धूम्रवर्णा, चामुंडा आदि नामों से भी जाना जाता है। माता काली भूत, पिसाच, प्रेत और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।


नवरात्रि में सप्तमी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। मां का ध्यान कर मंदिर या पूजा की जगह को साफ करें। मां के  सामने घी का दीपक जलाएं। मां को लाल रंग प्रिय है इसलिए देवी को लाल रंग  के फूल अर्पित करें। मां को गुड़ या गुड़ से बनी चीजों को भोग लगाएं। मां को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि अर्पित करें.  मां की आरती करें. दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ और चंदन या रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप करें। पूजा की आखिर में अपनी गलतियों के लिए मां से क्षमा मांगे।