GAYA JEE: शव का दाह संस्कार करने पहुंचे लोगों की बेरहमी से पिटाई, स्थानीय दुकानदारों पर कार्रवाई की मांग शराबबंदी की साख पर सवाल: जदयू महासचिव राजेश रजक शादी में शराब पीते गिरफ्तार पीएम मोदी की निजी सचिव निधि तिवारी की सैलरी कितनी है? 8वें वेतन आयोग से कितना होगा इजाफा? जानिये.. Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले VIP का थीम सॉन्ग लॉन्च, सहनी बोले- आरक्षण हमारा हक, हम इसे लेकर रहेंगे Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले VIP का थीम सॉन्ग लॉन्च, सहनी बोले- आरक्षण हमारा हक, हम इसे लेकर रहेंगे Railway News: अब टिकट के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ेगा, बिहार के 702 रेलवे स्टेशनों पर ATVM लगाने की तैयारी Bihar News: सीएम नीतीश कुमार अचानक पहुंच गए हाजीपुर, भागे-भागे पहुंचे अधिकार; फोर लेन पुल का किया निरीक्षण 10 रूपये की खातिर नोजल मैन की पिटाई करने वालों को पुलिस ने दबोचा, 25 हजार का ईनामी भी गिरफ्तार Bihar News: चिराग की रैली में दिव्यांग युवक से धक्का-मुक्की, ट्राईसाइकिल क्षतिग्रस्त; बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट के नारे को बताया झूठा Bihar School News: बिहार के 40 हजार से अधिक स्कूलों में होने जा रहा यह बड़ा काम, नीतीश सरकार ने दे दी मंजूरी
1st Bihar Published by: Updated Fri, 01 May 2020 01:59:12 PM IST
- फ़ोटो
DESK : हम अभी लॉकडाउन 2.0 के अंतिम चरण से गुजर रहे हैं. एक ओर जहां सभी 4 मई को लॉक डाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं वहीं कुछ लोगों का मानना है कि स्थिति अभी सामान्य नहीं हो पाई है, न ही कोरोना संक्रमितों की संख्या में कोई कमी देखी जा रही है. ऐसे में लॉकडाउन खोलने का फैसला घातक साबित हो सकता है. यदि परिस्थितियों का सही आंकलन किये बिना लॉक डाउन को खोला जाता है तो इतने दिनों तक लोगों और सरकार द्वारा किये गए सारे प्रयास बेकार हो जायेंगें.
इन 40 दिनों के लॉकडाउन ने हमारी ज़िन्दगी बदल कर रख दी है. शायद ही कोई ऐसा हो जिसने अपनी ज़िन्दगी में बदलाव महसूस नहीं किया हो. कहने को तो सभी को बस केवल अपने घरों में रहना था पर यही एक काम काफी मुश्किल रहा. शुरूआती दिनों में तो काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा लेकिन फिर बाद में आदत सी पड़ गई. परिवार के साथ रहने वाले हो या कोई बैचलर सभी प्रभावित हुए है. आइये जानते है लॉक डाउन खुलने के बाद हमारी ज़िन्दगी कैसी होगी:-
कम चीजों के साथ जीना सिखा- इस लॉकडाउन ने मुझे व्यक्तिगत रूप से ये सिखा दिया की जिंदगी जीने के लिए हमें बहुत कम चीजों की आवशकता होती है पर फिर भी हम अपनी पूरी जिंदगी अनावश्यक चीजों को जुटाने में और भविष्य की सुनहरी कल्पना करने में बिता देते हैं. जबकि सच्चाई तो ये है की कल क्या होने वाला है किसी को नहीं पता इसलिए बेहतर है आज में जियें कल क्या होगा कल देखा जायेगा.
आत्म निर्भरता- लॉक डाउन ने हमें काफी कुछ सिखाया है. हम आत्म निर्भर होना सिख गए है. जो लोग कल तक अपने घर के हर काम के लिए कामवाली बाई पर निर्भर रहते थे वो अब खाना बनाने से लेकर घर-गृहस्थी के सारे काम करना सीख गए हैं. शायद अब उन्हें ये काम साधारण नहीं लगेगा.
साफ-सफाई- कोरोना महामारी फैलने से हम साफ-सफाई को लेकर पहले की तुलना में तोडा ज्यादा सचेत हो गए है. अपने घर के साथ अब पब्लिक प्लेस पर भी हम साफ सफाई का पूरा ख्याल रखने की कोशिश करेंगे.
परिवार से लगाव- ज़िन्दगी के भाग दौड़ में हम इतने खो जाते है की वक्त कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता. लॉकडाउन ने हमें अपने रिश्ते मजबूत करने का एक सुनहरा मौका दिया था. भले हम अपने घर में हो या अपने घर से दूर कहीं फंसे हो हम पहले के मुकाबले थोड़ा ज्यादा करीब आये हैं.
मेल-मिलाप का तरीका- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ये तो हमने कई बार सुना है पर ऐसा अनुभव करने को पहली बार मिला. घर में सारी सुख सुविधाओं के होने के बावजूद हमें बाहर निकल कर लोगों से अपने दोस्तों से मिलने की इच्छा होती थी.
खर्च में कटौती- घर में बंद रहने के कारण बीते महीने में हमने फिजूलखर्जी नहीं की. ना कहीं सैर सपाटे के लिए गए ना ही बाहर कहीं खाना खाया. अनावश्यक की खरीददारी में जो पैसे हमारे खर्च हो जाते थे वो भी बच गए.
वर्क फ्रॉम होम- सूचना क्रांति ने हमें वर्क फ्रॉम होम के कांसेप्ट से अवगत कराया. लॉकडाउन खत्म होने के बाद वर्क फ्रॉम होम (घर से ऑफिस का काम) एक ट्रेंड बन सकता है, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम की स्थिति में कंपनी का ऑपरेशन कॉस्ट घाट जाता है. कर्मचारी के लिए ऑफिस में कोई सेटअप की जरूरत नहीं होती है. इसके अलावा बिजली-पानी जैसे अन्य खर्च भी नहीं लगते.