लॉकडाउन में बदल गया इतिहास, बोधगया में नहीं मनी भगवान बुद्ध की जयंती समारोह

लॉकडाउन में बदल गया इतिहास, बोधगया में नहीं मनी भगवान बुद्ध की जयंती समारोह

GAYA: तथागत की तपोभूमि बोधगया में पहली बार लॉक डाउन के कारण भगवान बुद्ध की 2564वी बुद्ध जयंती समारोह का सार्वजनिक रुप से आयोजन नहीं किया गया। इससे पूर्व बुद्ध जयंती के मौके पर विश्व के कई देशों के धर्मगुरु, लामा, श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में देश-विदेश से आते थे। इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय पीस मार्च का भी आयोजन किया जाता था। लेकिन लॉक डाउन के कारण इस बार यह समारोह नहीं मनाया गया।


बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी के सदस्यों द्वारा लॉक डाउन के कारण सादगी से पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे प्रार्थना की गयी। इससे पहले सदस्यों ने मंदिर के गर्भ गृह में भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष विशेष रूप से पूजा-अर्चना की।इस मौके पर बौद्ध भिक्षु भंते चालिन्दा ने बताया कि लॉक डाउन के कारण इस बार सार्वजनिक तौर पर बुद्ध जयंती नहीं मनाई जा रही है। कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन का असर पूरे देश में है। यही वजह है कि बोधगया में भी इस बार अलग-अलग मोनेस्ट्री में धर्म गुरुओं व लामाओं के द्वारा सादगी तरीके से बौद्ध जयंती मनाई जा रही है।


उन्होंने कहा कि बुद्ध जयंती का बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व है। क्योंकि आज ही के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, उन्हें बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उनका महापरिनिर्वाण, यानी आज के ही दिन उनकी मृत्यु हुई थी। भगवान बुद्ध के जीवनकाल की तीनों घटनाएं आज ही के दिन हुई थी। इसलिए इसे त्रिविध जयंती के रूप में भी मानते है।आज की तिथि का विशेष महत्व है। आज बुद्ध पूर्णिमा को इसे बुद्ध जयंती के रूप में भी मनाया जाता हैं। लेकिन हम लोगों ने सादगी तरीके से पूजा-पाठ किया है। पूरे विश्व में शांति हो और लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाव हो, इसके लिए प्रार्थना की गई है ।