PATNA : एलजेपी संसदीय दल पर कब्जे के बाद पशुपति कुमार पारस पार्टी के ऊपर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए आगे बढ़ने वाले हैं। भतीजे चिराग पासवान का तख्तापलट उन्होंने लोकसभा में कर दिया है और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर भी अपना कब्जा चाहते हैं। हालांकि एलजेपी के सांसदों ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया है लेकिन इसके बावजूद लोक जनशक्ति पार्टी के संविधान के मुताबिक उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मुहर लगवानी होगी। पशुपति कुमार पारस जल्द ही एलजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने वाले हैं। उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक पटना में या बैठक बहुत जल्द बुलाई जाएगी।
लोकसभा में संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस आज अपने करीबी नेताओं के साथ मंथन करने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तारीख तय करेंगे। अंदरखाने से आ रही खबर के मुताबिक पारस का समर्थन करने वाले सांसद आज से पटना वापसी शुरू कर देंगे हालांकि पशुपति कुमार पारस आज पटना वापस आएंगे इस बात की उम्मीद थोड़ी कम है। दरअसल पारस की तरफ से चुनाव आयोग में पार्टी को लेकर नेतृत्व पर दावा पेश करना है लिहाजा वह वकीलों के साथ इस पर मंथन करने वाले हैं। इसके पहले सोमवार की शाम लोकसभा सचिवालय में पशुपति कुमार पारस को नेता चुने जाने की अधिसूचना जारी कर दी थी। इस अधिसूचना के आधार पर ही पारस चुनाव आयोग में इसकी जानकारी देने वाले हैं कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। फर्स्ट बिहार को मिली जानकारी के मुताबिक पशुपति कुमार पारस अब तक 12 राज्यों में एलजेपी के नेतृत्व से संपर्क कर चुके हैं। तकरीबन आधा दर्जन राज्य के अध्यक्षों ने उन्हें अपना समर्थन देने का भरोसा दिया है।
एलजेपी के पुराने नेताओं और पार्टी संविधान की जानकारी रखने वाले लोगों का मानना है कि भले ही पशुपति कुमार पारस में संसदीय दल के ऊपर कब्जा जमा लिया हो लेकिन चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी से हटाना आसान नहीं होगा। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तरफ से मुहर का इंतजार करना होगा। पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव खालिक रामविलास पासवान के बेहद खास रहे हैं। अब्दुल खालिक चिराग के भी करीबी माने जाते हैं। कमेटी में कई ऐसे चेहरे हैं जो अभी भी चिराग के साथ खड़े हैं। ऐसे में दोनों खेमों की तरफ से रस्साकशी तेज होगी। पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान दोनों एलजेपी पर कब्जा बरकरार रखने के लिए कानूनी जानकारों की सलाह ले रहे हैं। चिराग पासवान भले ही सोमवार को अपने चाचा पारस से मिलने पहुंचे हों। उनकी मुलाकात पशुपति पारस से नहीं हो पाई हो लेकिन अब तक उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि चिराग किसी तरह इस मौजूदा संकट से निकलने के लिए रणनीति पर हिडेन तरीके से काम कर रहे हैं। वहीं पारस की स्थिति बेहद मजबूत हो चुकी है। लोकसभा में उन्हें नेता का दर्जा मिलने के बाद चुनाव आयोग में उनका दावा भी मजबूत हुआ है। ऐसे में अगर कई नेताओं का साथ उनको और मिल जाए तो कोई अचरज नहीं होगा। मौजूदा खींचतान के बीच दिल्ली में भले ही अब तक सारी हलचल हुई हो लेकिन आगे आने वाले दिनों में पटना लोक जनशक्ति पार्टी में नेतृत्व की लड़ाई का गवाह बनने वाला है।