PATNA : चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भले ही इन दिनों जमानत पर बाहर हो लेकिन उनकी मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। लालू के खिलाफ जो मामले अदालत में चल रहे हैं उनके अलावा एक और मामले में अब कोर्ट के अंदर कानूनी प्रक्रिया तेज होने वाली है। यह मामला नीतीश कुमार के एक करीबी से जुड़ा हुआ है। लालू यादव के खिलाफ मानहानि से जुड़ा एक परिवाद दाखिल किया गया था। इस मामले में लालू ने पटना के एमपी–एमएलए कोर्ट में आरोप मुक्ति याचिका दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। दरअसल यह पूरा मामला नरेश कुमार के करीबी माने जाने वाले उदय कांत मिश्रा को लेकर लालू यादव की तरफ से आपत्तिजनक बयान दिए जाने का है। लालू यादव ने उदय कांत मिश्रा को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी 2017 में की थी और उसके बाद लालू के खिलाफ उदय कांत मिश्रा ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की तरफ से मानहानि के इस मामले में दाखिल आरोप विमुक्ति याचिका पटना की एमपी एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। साथ ही कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को अपने गवाह पेश करने के लिए 23 जून 2022 की अगली तारीख तय की है। स्पेशल कोर्ट के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आदिदेव ने लालू यादव की तरफ से दंड प्रक्रिया संहिंता की धारा 258 के तहत दायर की गई याचिका पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उसे खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि मामले के परिवाद पत्र के अवलोकन से मानहानि का मामला नहीं बनता है इसलिए उन्हें आरोपों से मुक्त किया जाए लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना।
यह पूरा मामला साल 2017 का है। उदय कांत मिश्रा के परिवाद पत्र के आधार पर यह शिकायती मुकदमा संख्या 45 30 (c) 2017 दर्ज किया गया था। मुकदमे में लालू यादव के उस बयान को मानहानि वाला बताया गया है जिस बयान में सृजन घोटाले के संदर्भ में कथित रूप से लालू ने कहा था कि नीतीश कुमार घोटाले के बारे में जानते थे। नीतीश बताएं की भागलपुर में उदय कांत मिश्रा के घर क्यों ठहरते हैं।