लालू के प्लान B का हिस्सा हैं जगदानंद सिंह, जानिए.. प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने की वजह

लालू के प्लान B का हिस्सा हैं जगदानंद सिंह, जानिए.. प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने की वजह

PATNA : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के भविष्य को लेकर चली आ रही तमाम अटकलों को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने खत्म कर दिया है। दरअसल जगदा बाबू ने जब से पार्टी कार्यालय आना बंद किया उसके बाद से ही यह कयास लगते रहा कि उनकी जगह आरजेडी सुप्रीमो किसी नए चेहरे की तलाश में है। लालू यादव के सिंगापुर जाने के पहले जगदा बाबू और अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे सीनियर नेताओं से लालू यादव ने मुलाकात की। इस मुलाकात के अंदर तय हो गया की जगदा बाबू अपने पद पर बने रहेंगे, हालांकि सियासी गलियारे में यह चर्चा भी होते रही की अब्दुल बारी सिद्दीकी को अब कमान दी जाने वाली है। लेकिन जगदानंद सिंह पर लालू यादव और तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से भरोसा जताया है। जगदा बाबू अगर नाराज हैं, उसके बावजूद उनके ऊपर आरजेडी सुप्रीमो भरोसा जता रहे हैं तो इसकी वजह क्या है? यह समझ लेना बेहद जरूरी है। 


क्या हुई बातचीत? 


आरजेडी के अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि बुधवार को जब दिल्ली में लालू यादव से जगदानंद सिंह अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे नेताओं ने मुलाकात की तो पार्टी की मजबूती पर चर्चा हुई, साथ ही साथ सरकार में आने के बाद की चुनौतियों पर भी लालू यादव ने इन दोनों नेताओं से बातचीत की। जानकार बता रहे हैं कि लालू यादव के सामने जगदानंद सिंह ने सीधे तौर पर कह दिया है कि सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार की एंटी इनकंबेंसी का सामना आरजेडी को भी करना पड़ेगा। नीतीश कुमार के शासन से जिन लोगों को नाराजगी रही है, वह नाराजगी आरजेडी पर शिफ्ट ना हो इसके लिए जरूरी है कि पार्टी अपने एजेंडे को सरकार में लागू करते रहे। माना जाए तो जगदानंद सिंह नीतिगत तौर पर नीतीश कुमार के एजेंडे के ऊपर चलने को लेकर सहमत नहीं दिखे। सूत्र बता रहे हैं कि लालू यादव और तेजस्वी यादव ने जगदा बाबू की बात को गंभीरता से लिया है। पार्टी को कैसे मजबूत रखा जाए, जगदानंद सिंह प्रदेश कार्यालय जाना शुरू करें इसके लिए भी बातचीत हुई। प्रदेश स्तर पर कोआर्डिनेशन के लिए नेताओं की एक टीम बनाई जाए, जिसमें प्रदेश के उपाध्यक्ष शामिल रहे इस पर भी सहमति बनी। 


लालू के प्लान B का हिस्सा जगदा बाबू


जगदानंद सिंह ने बीते 2 अक्टूबर के बाद प्रदेश आरजेडी कार्यालय में कदम नहीं रखा है। इसी दिन उनके बेटे और पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार के साथ विवाद को लेकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुधाकर सिंह बिहार में किसानों के हित की बात कर रहे थे। कृषि मंत्री रहते हुए उनके बयानों से नीतीश एकमत नहीं थे और यही वजह रही कि सुधाकर सिंह को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद जब पार्टी कार्यालय से दूरी बना ली तो यह चर्चा आम हो गई कि वह नेतृत्व से नाराज हैं। जानकार बताते हैं कि बाबू की नाराजगी लालू यादव या तेजस्वी यादव से नहीं है। दरअसल जगदानंद सिंह नीतीश मॉडल को लेकर असहज हैं। सियासी जानकार मानते हैं कि नाराजगी की खबरें और आरजेडी के अंदर जगदा बाबू प्रकरण से नुकसान होने के बावजूद लालू यादव अगर जगदा बाबू से किनारा नहीं करना चाहते हैं तो इसके पीछे एक बड़ी वजह है। लालू बिहार की राजनीति को समझते हैं, नीतीश कुमार की सियासत को भी परख चुके हैं। ऐसे में जगदानंद सिंह, जो नीतीश मॉडल के विरोध में खड़े हैं उनका इस्तेमाल सही समय आने पर किया जा सकता है। लालू जानते हैं कि अगर नीतीश ने इधर-उधर किया तो जगदानंद सिंह जैसे नेताओं के जरिए ही उनको काउंटर किया जा सकता है। सरकार में होने के बावजूद नीतीश कुमार से दूरी बनाए रखना उनके गवर्नेंस स्टाइल से असहमत रहना और साथ ही साथ आरजेडी के एजेंडे को आगे रखने की बात करने वाले जगदानंद सिंह आड़े वक्त में लालू और तेजस्वी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि लालू यादव ने प्लान B के लिए जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बनाए रखने का फैसला किया है।