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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 09 Jun 2023 08:45:44 PM IST
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PATNA: डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों बयान दिया कि जिस तरह से उनके पिता लालू प्रसाद ने बिहार में बीजेपी का रथ रोक दिया था उसी तरह से वे भी 2024 में बीजेपी का रथ रोकेंगे। तेजस्वी के इस बयान पर बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने पलटवार किया है। सुशील मोदी ने कहा है कि लालू का जमाना अब लद चुका है, जिसकी पार्टी का लोकसभा में एक भी सांसद नहीं वो क्या बीजेपी के रथ को रोकेगा। वहीं विपक्षी दलों की होने वाली बैठक को लेकर भी सुशील मोदी ने जोरदार हमला बोला है।
लोकसभा में तेजस्वी यादव की पार्टी का एक भी सांसद लोकसभा में नहीं है। जिस व्यक्ति की पार्टी का लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है वह 303 सांसदों वाली पार्टी का रथ रोकने की बात करता है। लालू यादव का जमाना अब चला गया। लालू ने जब बीजेपी का रथ रोका था उसका नतीजा हुआ कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बन गई। आडवानी का रथ रोका और उन्हें गिरफ्तार किया गया, इसकी पूरे देश के भीतर ऐसी प्रतिक्रिया हुई कि लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल हुई। उन्होंने कहा कि लंबा-लंबा दावा करने में किसी का क्या जाता है। ये लोग कितने भी एकजुट हो जाएं नरेंद्र मोदी और बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकते हैं।
वहीं 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक पर सुशील मोदी ने कहा कि इस बैठक में सिर्फ राहुल गांधी और खरगे को ही नहीं बल्कि प्रियंका गांधी को भी आना चाहिए। सोनिया गांधी और रॉबर्ट वाड्रा भी आ जाएं। सब लोग आ भी जाएं तो कुछ होने वाला नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस केजरीवाल के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के नेताओं ने खरगे से मांग की है कि वे किसी भी कीमत पर केजरीवाल के साथ नहीं जाएं। अध्यादेश के मुद्दे पर भी अभी तक कांग्रेस ने कोई स्टैंड नहीं लिया है। केजरीवाल से मिलने के लिए राहुल गांधी ने समय तक नहीं दिया। जिन दलों में इतना मतभेद है क्या वे नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा। अगर बारात निकाल रहे हैं तो दूल्हा कौन हा ये तो बताना ही पड़ेगा। क्या जब बारात दरवाजे लग जाएगी उस वक्त दूल्हा सामने आएगा, ऐसा कभी नहीं होता है। विपक्ष प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय कर लोगों को बताए। हर लोकसभा चुनाव के पहले इस तरह का बैठक और चाय-पानी होता है। चंद्रबाबू नायडू भी कबी इसी तरह से देशभर में घूम घूमकर विपक्ष को एकजुट कर रहे थे लेकिन उसका क्या परिणाम निकला सभी को पता है। केवल लंबा लंबा बात बोलने और बैठक बुला लेने से कोई नेता नहीं बन जाता।
एक बार जब बैठक स्थगित हो गई तो नीतीश कुमार ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिए इसलिए राहुल गांधी चले आ रहे हैं। उनको भी यह बात अच्छी तरह से पता है कि इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलने वाला है। बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी इसमें संदेह है, अरविंद केजरीवाल क्या करेंगे ऐसे बहुत सारे सवाल हैं और बैठकों में इन सवालों पर कोई चर्चा नहीं होती है। बैठक केवल दिखाने के लिए होती है कि वे एकजुट हैं।