शहाबुद्दीन के कुनबे ने लालू ने पूरी तरह किया किनारा, गोपालगंज में डैमेज होने के बाद हिना शहाब कार्यकारिणी से आउट

शहाबुद्दीन के कुनबे ने लालू ने पूरी तरह किया किनारा, गोपालगंज में डैमेज होने के बाद हिना शहाब कार्यकारिणी से आउट

PATNA : पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को कभी लालू यादव का बेहद खास माना जाता था, लेकिन उनके निधन के बाद लगातार शहाबुद्दीन का परिवार लालू यादव और उनकी पार्टी से दूर जाता रहा। दरअसल पूर्व सांसद का निधन जिन परिस्थितियों में हुआ और आरजेडी के नेता जिस तरह इस मामले पर चुप रहे उसे लेकर शहाबुद्दीन के परिवार और उनके समर्थकों के बीच लगातार नाराजगी बनी रही। हालांकि तेजस्वी यादव से लेकर तेज प्रताप यादव तक शहाबुद्दीन के घर पहुंचे और डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया लेकिन गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में शहाबुद्दीन का कुनबा ना केवल साइलेंट रहा बल्कि खबरें भी आई कि शहाबुद्दीन के समर्थकों ने ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन किया। गोपालगंज में आरजेडी को हार का सामना करना पड़ा और इसके बाद अब लालू भी बड़े फैसले की तरफ आगे बढ़ गए।


लालू यादव ने सिंगापुर रवाना होने से पहले पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर मुहर लगाई थी। 81 सदस्यों वाली इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पहली बार शहाबुद्दीन परिवार से किसी को शामिल नहीं किया गया है। आरजेडी की पिछली कमेटी में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब शामिल थीं। उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अलावे सेंट्रल पार्लियामेंट्री बोर्ड में भी रखा गया था लेकिन इस बार उन्हें इन दोनों जगहों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, यानी लालू और तेजस्वी ने मान लिया है कि शहाबुद्दीन का कुनबा अब आरजेडी के साथ नहीं रह सकता। शायद यही वजह है कि अब हिना शहाब को दोनों में से किसी भी कमेटी में जगह नहीं दी गई है। गोपालगंज के परिणाम से सीख लेते हुए लालू और तेजस्वी ने यह बड़ा फैसला किया है। 


शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके समर्थकों में लालू परिवार को लेकर समय-समय पर गुस्सा देखने को मिलता रहा है। खुद हिना शहाब भी कह चुकी है कि वह अपने समर्थकों के साथ राय मशविरा कर राजनीतिक भविष्य पर फैसला लेंगी। बिहार में जब एनडीए की सरकार थी तब यह चर्चा भी खूब हुई कि शहाबुद्दीन का कुनबा जेडीयू के साथ जा सकता है लेकिन बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में अब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव साथ–साथ हैं ऐसे में जेडीयू का दरवाजा भी हिना शहाब के लिए बंद हो चुका है। अब देखना होगा कि क्या राजनीतिक भविष्य को लेकर शहाबुद्दीन का परिवार कोई बड़ा फैसला लेता है? क्या वाकई ओवैसी की पार्टी की तरफ हिना शहाब रुख करती हैं?