RANCHI : झारखंड में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच जब सोमवार को हेमंत सोरेन की कैबिनेट बैठी तो सब कुछ छोड़ कर लालू यादव पर ही चर्चा होती रही. कैबिनेट की बैठक में पूरी सरकार लालू यादव की पेरोल पर रिहाई का रास्ता तलाशती रही. मंत्रियों और अधिकारियों से बात नहीं बनती दिखी तो महाधिवक्ता तक को बैठक में बुला लिया गया. लेकिन हेमंत सोरेन कानूनी प्रावधानों को ताक पर रख कर अपने गार्जियन लालू प्रसाद यादव की रिहाई का फैसला नहीं ले पाये.
लालू की रिहाई के लिए हर रास्ता तलाशा गया
दरअसल कैबिनेट की बैठक में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने लालू प्रसाद यादव की रिहाई का मामला उठाया. इसके बाद पूरी कैबिनेट लालू प्रसाद यादव की चर्चा में ही उलझ गयी. सरकार ने अधिकारियों से राय ली लेकिन वे रिहाई का रास्ता नहीं तलाश पाये. ऐसे में महाधिवक्ता को कैबिनेट की बैठक में तलब किया गया. महाधिवक्ता ने भी कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए लालू के पेरोल को फिलहाल संभव नहीं बताया. महाधिवक्ता की राय के बाद सरकार चाह कर भी फैसला नहीं ले पायी.
झारखंड के कृषि मंत्री बादल ने बताया कि उन्होंने लालू यादव के पेरोल का मामला उठाया था. मंत्री ने कहा कि 2012 के पे रोल संबंधी एडवाइजरी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में कैबिनेट में लंबी चर्चा हुई. बैठक के दौरान ही महाधिवक्ता को भी बुलाया गया लेकिन कानूनी प्रावधानों को देखते हुए तत्काल कोई नतीजा नहीं निकल पाया. सरकार ने महाधिवक्ता से विस्तृत राय मांगी है ताकि लालू यादव समेत उनके जैसे दूसरे कैदियों को पे-रोल पर छोड़ने का निर्णय लिया जा सके.
मुख्यमंत्री बोले-हम लालू को लेकर चिंतित हैं
उधर मीडिया से बात करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा “हमने महाधिवक्ता को बता दिया है कि हम लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ को लेकर चिंतित हैं. महाधिवक्ता को लालू यादव के पेरोल को लेकर कानूनी राय से राज्य सरकार को अवगत कराने को कहा गया है. उनकी राय आने के बाद राज्य सरकार फैसला लेगी.”
गौरतलब है कि चारा घोटाले के दो मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव फिलहाल रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं. झारखंड में उनकी पार्टी के गठबंधन की सरकार चल रही है. लेकिन लालू को पेरोल पर रिहा करने का कानूनी प्रावधान नहीं मिल पा रहा है. दरअसल कानूनी प्रावधानों के मुताबिक आर्थिक अपराध के मामलों के आरोपी को पेरोल पर रिहा नहीं किया जा सकता. वहीं, लालू यादव चारा घोटाले के दो मामलों में 7-7 साल की सजा काट रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल से कम सजा वालों को पेरोल पर रिहाई पर विचार करने का आदेश दिया है. वहीं लालू यादव तबीयत खराब होने के कारण जेल के बजाय अस्पताल में भर्ती हैं. लिहाजा अस्पताल से उन्हें छोड़ने में भी कानूनी प्रावधान बाधक बन रहे हैं.