PATNA: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ती नजर आ रही हैं। सीबीआई ने लालू के खिलाफ एक पुराना मामला फिर से खोल दिया है। सीबीआई की इस जांच पर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान दिया है। पटना पहुंचने के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि सीबीआई ने पहले भी जांच की लेकिन कुछ नहीं मिला।
केस को रिओपेन किया गया है। लालू जी और हमारा जीवन खुला किताब जैसा है। हमने तो पहले ही सीबीआई को कहा था कि अगर दफ्तर ही बनाना है तो हमारे घर में बना लें। कर लें फिर से जांच। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पहले भी सीबीआई ने जांच किया था लेकिन कुछ भी नहीं मिला तब फिर दोबारा जांच करना चाहती है। जांच करने में क्या दिक्कत है। अब एक ही केस में दस बार जांच करे..बीस बार जांच करे.. मर्जी के मालिक हैं लोग।
दरअसल, साल 2021 में जिस मामले को बंद कर दिया गया था उसी मामले में अब सीबीआई ने एक बार फिर से जांच शुरू कर दी है। यह मामला रेलवे प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने इस मामले की जांच 2018 में शुरू की थी और मई 2021 में इस मामले को बंद कर दिया गया था लेकिन अब एक बार फिर नए सिरे से लालू के खिलाफ केस खोल दिया गया है। तेजस्वी ने कहा कि जितनी बार जांच करना है करे कोई फर्क नहीं पड़ता। तेजस्वी ने कहा कई बार ईडी और सीबीआई के सवालों का जवाब ऑन रिकॉर्ड हम दे चुके हैं।
लालू यादव के साथ-साथ उनके बेटे तेजस्वी यादव और बेटियों रागिनी यादव, चंदा यादव को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। सीबीआई ने इस मामले में एक बार फिर से जांच आगे बढ़ाने का फैसला किया है। बिहार में एनडीए गठबंधन से नीतीश कुमार के अलग जाने और लालू के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि उनके खिलाफ पुराना मामला सीबीआई एक बार फिर से खोल सकती है और अब एक बार फिर लालू के खिलाफ सीबीआई ने इस पुराने केस की फाइल खोल दी है।
यह मामला लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के अलग-अलग प्रोजेक्ट में करप्शन से जुड़ा हुआ है। लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने डीएलएफ ग्रुप की तरफ से साउथ दिल्ली में एक प्रॉपर्टी रिश्वत के तौर पर ली थी। आरोप है कि लालू यादव को यह प्रॉपर्टी मुंबई के बांद्रा में रेल लेंडलीज प्रोजेक्ट और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के डेवलपमेंट के तौर पर किए जा रहे प्रोजेक्ट से जोड़ते हुए दिया गया था। इस प्रॉपर्टी को डीएलएफ की तरफ से फंड की गई सेल कंपनी ने मार्केट रेट से काफी कम कीमत पर खरीदा था और सेल कंपनी को तेजस्वी यादव की ओर से खरीदे जाने का आरोप है।