ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड : परिवार को CBI जांच पर भरोसा नहीं, 46 साल बाद हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड : परिवार को CBI जांच पर भरोसा नहीं, 46 साल बाद हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

PATNA : पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या के 46 साल बाद उनके परिवार की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई होगी. यह सुनवाई अभियुक्त आनंद मार्गियों की अपील और ललित बाबू के परिवार की याचिका पर एक साथ होगी. इसको लेकर दिल्ली हाइकोर्ट ने आदेश जारी कर दिया है. ललित बाबू हत्याकांड की दोबारा जांच के लिएउनके परिवार के लोगों ने सीबीआई को रिप्रजेंटेशन दिया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि इस हत्याकांड में मुख्य अभियुक्त सहित कुछ लोगों को बचाया गया है. इसके कारण उन लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पायी.


सीबीआई को दिए रिप्रजेंटेशन में कहा गया है कि जो मुख्य आरोपित हैं, उनके नाम इस केस में आये ही नहीं हैं, इसलिए सीबीआई दोबारा जांच कर मामले की तह तक जाये, क्योंकि तब बहुत सारी बातें आयी थीं और सीबीआई की उस जांच पर परिवार तो दूर आम लोगों को भी भरोसा नहीं हुआ था.


ललित बाबू के पोते वैभव मिश्रा ने बताया कि उन्होंने सीबीआई से इस केस की दोबारा जांच करने की मांग को रिप्रजेंटेशन दिया है, लेकिन सीबीआई उसे न स्वीकार कर रहा है और न ही रिजेक्ट कर रहा है. इसी को लेकर दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका लगे गई है, जिस पर हाइकोर्ट ने आनंद मार्गियों की याचिका के साथ ही इस पर भी सुनवाई करने का फैसला सुनाया है.


वैभव मिश्रा ने कहा कि कोर्ट से रिक्वेस्ट किया गया है कि सीबीआई को जो रिप्रजेंटेशन दिया गया है, उस पर कार्रवाई करने का निर्देश दे. चूंकि आनंद मार्गियों और अन्य अभियुक्तों की अपील हाइकोर्ट में पेंडिंग है, इसलिए अब मिश्रा परिवार की याचिका और आनंद मार्गियों का अपील एक साथ सुना जायेगा.


आपको बता दें कि समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम विस्फोट में पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या के करीब 40 साल बाद दिसंबर, 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने मिश्रा और दो की हत्या और साजिश रचने के आरोप में तीन आनंद मार्गियों और एक वकील को सजा सुनाई थी.


 2 जनवरी 1975 को हुए विस्फोट के एक दिन बाद ललित बाबू की मृत्यु हो गयी थी. इसमें संतोषानंद अवधूत, सुदेवानंद अवधूत, गोपाल जी और अधिवक्ता रंजन द्विवेदी को दोषी ठहराया गया. लेकिन ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद अभियुक्तों ने 2015 में हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की.