PATNA : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. कोरोना संकट से मुकाबले के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं. जिसे केंद्र सरकार ने भी बाद में लागू किया. लेकिन अब केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में कटौती करने का बड़ा फैसला किया है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या बिहार में भी विधायकों और विधान पार्षदों के वेतन में नीतीश कुमार कटौती करेंगे.
बिहार में कोरोना वायरस से निपटने के लिए राज्य सरकार ने जो कदम उठाए हैं. उसमें आर्थिक मदद को लेकर नीतीश सरकार पहले ही विधायकों की अनुशंसा पर खर्च की जाने वाली मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना की राशि को कोरोना वायरस से निपटने के लिए डाइवर्ट कर रखा है. ऐसे में अब जिस तरह सांसदों के वेतन में कटौती हुई है. उसके बाद यह चर्चा शुरू होने लाजमी है कि क्या अन्य तीसरी विधायकों और विधान पार्षदों के वेतन में कटौती करेंगे.
मुख्यमंत्री राहत कोष में लगातार विधायकों और विधान पार्षदों की तरफ से आर्थिक मदद देने का सिलसिला भी जारी है. कोरोना संकट से निपटने के लिए हर तरफ से आर्थिक मदद मिल रही है. बावजूद इसके अगर विधायकों के वेतन में कटौती होती है, तो सरकार को एक बड़ी राशि कोरोना संकट से मुकाबले के लिए मिल जाएगी.
बता दें कि मोदी सरकार ने सभी सांसदों के वेतन में 30 फ़ीसदी की कटौती कर दी है. ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में कटौती का फैसला लिया हो. इतना ही नहीं सांसदों के अलावे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के साथ-साथ राज्यपाल भी 1 साल तक अपनी सैलरी 30 फ़ीसदी कम लेंगे. दूसरे फैसले के अनुसार दो साल के लिए MPLAD फंड को खत्म कर दिया गया है. इस फंड का इस्तेमाल कोरोना वायरस से लड़ने में किया जाएगा. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने ये बड़ा फैसला स्वैच्छिक रूप से खुद लिया है.