DESK : विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया है। कुछ हिंदू याचिकाकर्ताओं की याचिका पर नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के 'वजूखाना' क्षेत्र का सर्वेक्षण एएसआई से कराने की मांग की है।
हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान एक शिवलिंग मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। इस मामले में वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ”22 नवंबर को, सील किए गए क्षेत्र की एएसआई जांच की मांग करते हुए एक बहुत ही सीमित अंतरिम आवेदन (आईए) में मामला शीर्ष कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। 16 मई 2022 को, हमने दावा किया कि तथाकथित ‘वजू टैंक’ क्षेत्र में एक ‘शिवलिंग’ पाया गया था।
अंजुमन इंतेज़ामिया ने इसका खंडन किया और कहा कि यह एक फव्वारा है। हमने इस क्षेत्र की एएसआई जांच के लिए कहा था। हमने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आईए पेश किया था जिसे सूचीबद्ध किया गया था. उस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सभी मामले 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किए जाएंगे।
अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए। जैन ने कहा था, ‘‘संबल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर दशावतार में से कल्कि अवतार यहां से होना है। बाबर ने 1529 में मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। उसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता।”