PATNA : अपहरण के मामले में फंसे बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कार्तिक सिंह की बेल रिजेक्ट होने पर सीएम नीतीश कुमार की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि मंत्री पर आरोप लगने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सीएम ने इस मामले पर ज्यादा कुछ तो नहीं कहा लेकिन सिर्फ इतना बोला कि सभी लोगों को इस बात की जानकारी है, कल ही उनका इस्तीफा हो गया था। सीएम ने कहा कि कार्तिकेय कुमार के बारे में जो जानकारी मिली थी उसके अनुसार कार्य हुआ है।
दरअसल, साल 2014 में राजीव रंजन नामक शख्स को अगवा कर लिया गया था। पटना के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज हुआ, जिसमें अनंत सिंह और कार्तिकेय सिंह को आरोपी बनाया गया। इस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया। इससे पहले 2015 और 2017 में भी उनकी जमानत याचिका रद्द हुई थी। इसी बीच बिहार में सरकार बदली और कार्तिकेय सिंह को बिहार का कानून मंत्री बना दिया गया। जिस दिन उन्हें राजभवन में मंत्री पद की शपथ लेनी थी उसी दिन कोर्ट में भी सरेंडर करना था।
इसे बीजेपी ने मुद्दा बनाया और सरकार को घेरने का काम किया। इसे लेकर बीजेपी आए दिन हमला बोल रही थी। सरकार पर बन रहे दवाब के बाद कानून मंत्री से हटाकर कार्तिक कुमार गन्ना उद्योग मंत्री का पद की जिम्मेदारी दी गयी। कार्तिक के विवादों में आने के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनका विभाग बदल दिया था लेकिन विभाग बदले जाने के कुछ घंटे बाद ही कार्तिक कुमार ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मामले पर आज दानापुर कोर्ट में सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा। गुरुवार की शाम साढ़े चार बजे कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कार्तिकेय कुमार की बेल रिजेक्ट कर दी।
कार्तिकेय कुमार की बेल रिजेक्ट होने के बाद बीजेपी नेता सुशील मोदी ने चौबीस घंटे के भीतर कार्तिकेय की गिरफ्तारी की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार के लिए यह बड़ी चुनौती होगी। सुशील मोदी ने कहा कि जिन लोगों ने कानून को अपने हाथों में लिया उन्हें कानून मंत्री बना दिया गया। उन्होंने कहा कि यह सब लालू के दवाब में नीतीश कुमार ने किया है। कार्तिकेय को 25 दिनों तक मंत्री बनाए रखा गया। क्या नीतीश कुमार को पता नहीं था कि उनके खिलाफ वारंट जारी है। वो वारंटी थे तो कैसे राजभवन जाकर मंत्री पद की शपथ ले ली।