PATNA : बिहार विधानमंडल में कल से शीतकालीन सत्र शुरु हो जाएगा। बिहार में सता परिवर्तन के बाद यह पहला सत्र होगा। जिसमें भाजपा विपक्ष की कुर्सी पर होगी। वहीं, भाजपा द्वारा इस सत्र में पूछें जाने वाले सवालों के जवाब देने के लिए सत्ता की कुर्सी पर 7 दल के नेता होंगे। यह शीतकालीन सत्र 5 दिनों का होगा, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयक और राजकीय कार्य किए जाएंगे।
बता दें कि, यह बिहार विधानसभा 17 वीं का सातवां सत्र है। इस सत्र के पहले दिन यानी 13 दिसंबर को बिहार में पिछले दिनों हुए 3 विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी का शपथ ग्रहण होगा। इसके बाद राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश की प्रमाणित कॉपियों को सदन पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही पहले दिन वित्तीय वर्ष 2022-23 के वित्तीय अनुपूरक व्यय विवरणी का उपस्थापना किया जाएगा। इसके बाद शोक प्रकाश लाया जाएगा। इसके बाद इस दिन के लिए सदन स्थगित कर सिया जाएगा। वहीं, अगले दिन यानी 14 दिसंबर और 15 दिसंबर को राजकीय विधेयक और अन्य राजकीय कार्य सदन में किए जाएंगे।
इसके उपरांत 16 दिसंबर को वित्तीय वर्ष 2022 23 के द्वितीय अनुपूरक व्यय व्यय विवरणी पर वाद विवाद, मतदान और उससे संबंधित विनियोग विधेयक पास किए जाएंगे। हालांकि 17 और 18 दिसंबर को सदन की कार्यवाही नहीं होगी। लेकिन, 19 दिसंबर, सोमवार को गैर सरकारी सदस्यों के कार्य सरकारी संकल्प विधानसभा में लाए जाएंगे। इन पांचों दिनों के लिए प्रभारी मंत्रियों के विभाग बांट दिए गए हैं। हालांकि पूर्ण रूप से इस शीतकालीन सत्र में 4 दिन ही बैठक हो पाएगी।
इधर, इस शीतकालीन सत्र को लेकर विपक्ष द्वारा भी तैयारी में कर ली गई है। विपक्षी दल बीजेपी इन 5 बैठकों को लेकर रणनीति बना रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने साफ कर दिया यह सत्र इसलिए छोटा रखा गया है क्योंकि, सरकार विपक्ष के सवालों से भागना चाहती है, सरकार जनता के सवालों से भागना चाहती है। इसलिए महज 5 दिनों का यह सत्र रखा गया है। जिसके बाद आसार लगाए जा रहे हैं कि, यह सत्र हंगामेदार हो सकता है। इस बार विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी अकेले विपक्ष में बैठेगी। लेकिन, उनका मनोबल इस वजह से ऊंचा रहेगा क्योंकि पिछले दिनों हुए 3 विधानसभा के उपचुनाव में 2 में भाजपा ने जीत हासिल की है।