PATNA: अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से उलझने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का बड़बोलापन हवा हो गया है. पत्रकारों ने आज जब चंद्रशेखर से केके पाठक को लेकर सवाल पूछा तो वे निकल भागे. चंद्रशेखर दो दिनों से अपने ऑफिस में नहीं जा रहे हैं. वैसे उन्होंने आज राजद ऑफिस में बैठक जरूर की. उधर केके पाठक शिक्षा विभाग को दुरूस्त करने की अपनी मुहिम में लगातार जुटे हैं. केके पाठक ने आज भी सरकारी स्कूल का निरीक्षण कर वहां का हाल जाना.
जुबान बंद कर भागे चंद्रशेखर
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर आज लगातार दूसरे दिन भी सचिवालय स्थित अपने दफ्तर में नहीं गये. वैसे दिन में वे राजद कार्यालय पहुंचे, जहां शिक्षा नीति को लेकर बैठक हुई. राजद नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार की शिक्षा नीति का विरोध कर रही राजद अपनी पार्टी की ओर से प्रस्ताव लाने जा रही है. आज उसी की तैयारी में पार्टी ऑफिस में बैठक रखी गयी थी, जिसमें राजद के कई मंत्री और विधायक शामिल हुए.
शिक्षा मंत्री के राजद दफ्तर आने की खबर मिलने के बाद मीडियाकर्मियों की वहां जमा हो गयी. हालांकि पत्रकारों को राजद कार्यालय के अंदर जाने से रोक दिया गया. ऐसे में वे कार्यालय के बाहर मंत्री का इंतजार करने लगे. उधर दफ्तर के अंदर बैठे मंत्री मीडिया से बचने के इंतजाम में लगे रहे. उनकी गाड़ी कभी राजद ऑफिस के पीछे लगायी जा रही थी तो कभी किसी दूसरी ओर. ताकि मंत्री पार्टी ऑफिस से निकले तो सीधे गाड़ी में बैठकर निकल जायें. लेकिन मीडियाकर्मियों की टीम उनकी गाड़ी के पीछे पीछे पहुंच जा रही थी.
पार्टी की बैठक खत्म होने के लगभग दो घंटे बाद मंत्री चंद्रशेखर को बाहर निकलना ही पड़ा. लेकिन अपने बॉडीगार्ड्स को उन्होंने निर्देश दे रखा था. मीडिया ने जैसे ही केके पाठक का नाम लिया, मंत्री के बॉडीगार्ड पत्रकारों को धक्का देकर सामने से हटाने लगे. बॉडीगार्ड्स के सहारे चंद्रशेखर अपनी गाड़ी में पहुंचे. वहां भी उनसे केके पाठक के बारे में सवाल पूछा गया. वे बगैर जवाब दिये अपनी गाड़ी की रफ्तार तेज कर निकल गये.
क्यों पस्त हो गये चंद्रशेखर
बता दें कि शिक्षा मंत्री बनने के बाद से ही चंद्रशेखर लगातार विवादों में रहे हैं. सरकारी स्कूल-कॉलेज के हर कार्यक्रम में एक खास धर्म को लेकर उनके आपत्तिजनक बयानों पर लगातार विवाद होता रहा है. हद तो ये थी विधानमंडल में शिक्षा विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान वे शिक्षा पर बात करने के बजाय रामायण और महाभारत की चर्चा करने में लगे रहे. हालत ये हो गयी थी कि विधान परिषद के सभापति ने शिक्षा मंत्री को सदन में बोलने से रोक दिया था. चर्चा ये भी थी कि जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा मंत्री को धर्म पर टीका टिप्पणी नहीं करने को कहा था तो चंद्रशेखर ने उन्हें भी जवाब दे दिया था.
लेकिन इस दफे उनका बड़बोलापन हवा हो गया है. दरअसल केके पाठक से विवाद के बाद जब चंद्रशेखर गुरूवार को नीतीश कुमार से मिलने गये थे तो मुख्यमंत्री ने उन्हें साफ जवाब दे दिया था. मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि शिक्षा विभाग को दुरूस्त करने की केके पाठक की मुहिम जारी रहेगी. चंद्रशेखर ने लालू यादव से भी गुहार लगायी लेकिन लालू ने उनका समर्थन करने के बजाय मंत्री को नीतीश कुमार के पास भेज दिया था. ऐसे में चंद्रशेखर के पास फिलहाल अपनी जुबान बंद रखने के बजाय दूसरा रास्ता नहीं बचा है.
तेजस्वी का कर रहे इंतजार
उधर राजद के सूत्र बता रहे हैं कि चंद्रशेखर को तेजस्वी यादव के विदेश से लौटने का इंतजार है. वैसे भी चंद्रशेखर तेजस्वी यादव के ही करीबी बताये जाते हैं. उन्हें लग रहा है कि विदेश से लौटने के बाद तेजस्वी यादव उनका संकट दूर करेंगे.