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JP यूनिवर्सिटी के सिलेबस से हटे जेपी-लोहिया के विचार, लालू यादव बोले.. ये बर्दाश्त से बाहर

1st Bihar Published by: Updated Wed, 01 Sep 2021 01:15:54 PM IST

JP यूनिवर्सिटी के सिलेबस से हटे जेपी-लोहिया के विचार, लालू यादव बोले.. ये बर्दाश्त से बाहर

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PATNA : बिहार के सारण जिले में स्थित जयप्रकाश यूनिवर्सिटी के सिलेबस से जेपी के विचारों को राजनीति विज्ञान के पीजी सिलेबस से हटाये जाने के बाद राजद सुप्रीमो लालू यादव का दर्द छलका है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि बिहार सरकार द्वारा जेपी-लोहिया के विचारों को सिलेबस से हटाना बर्दाश्त से बाहर है. सरकार को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेना चाहिए. 


लालू ने लिखा- 'मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार तथा संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे है. यह बर्दाश्त से बाहर है. सरकार तुरंत संज्ञान लें.'



आपको बता दें कि बिहार के विश्वविद्यालयों में शामिल सारण स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय की नींव जिस शख्सियत के नाम पर पड़ी उसी जयप्रकाश नारायण  के विचारों को राजनीति विज्ञान के पीजी सिलेबस से हटा दिया गया है. राममनोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजाराम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक, एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार भी अब सिलेबस में छात्र नहीं पढ़ सकेंगे. 



नए सिलेबस में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले का नाम शामिल किया गया है. सारण के छात्रों और प्रबुद्ध संगठनों में रोष व्याप्त है कि लोकनायक के नाम पर ही उनका विवि स्थापित है पर पीजी राजनीति विज्ञान के चैप्टर से वे गायब हैं. अन्ना हजारे, दलित आंदोलन के साथ जेपी आंदोलन को जोड़ा जरूर गया है, लेकिन प्रेरणादायी विचार इसमें शामिल नहीं होगा. 


जानकारी हो कि यूनिवर्सिटी के स्थापना काल से ही लोहिया और जेपी समेत कई महापुरुषों की जीवनी विद्यार्थी पढ़ते आ रहे हैं, लेकिन सत्र 2018-20 से चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बाद सिलेबस में बदलाव किया गया है. राजभवन के संबंधित विषयों के एक्सपर्ट शिक्षकों की टीम द्वारा सीबीसीएस का सिलेबस तैयार कर विश्वविद्यालयों में भेजा गया है. विभिन्न विश्वविद्यालयों में आंशिक संशोधन करते हुए सिलेबस को लागू कर दिया गया. नये सिलेबस में विद्यार्थियों को जेपी के आंदोलन को तो पढ़ना है लेकिन उनके विचार को नहीं.