RANCHI: क्या झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है. रामगढ़ विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव का रिजल्ट ऐसा ही संकेत दे रहा है. एक विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में खुद सीएम हेमंत सोरेन ने सारी ताकत झोंक दी थी. लेकिन कांग्रेस अपनी सीटिंग सीट गंवा बैठी. रामगढ़ के परिणाम ने झारखंड में चल रही सत्ता विरोधी लहर का साफ संकेत दे दिया है. अब खबर ये है कि सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि जेएमएम में भी भारी बेचैनी है. अपनी सीट बचाने के लिए कई विधायकों के पाला बदलने की चर्चा फिर से गर्म हो गयी है.
बता दें कि कांग्रेस विधायक ममता देवी के सजायाफ्ता होने के बाद रामगढ़ विधानसभा सीट खाली हो गयी थी. लिहाजा उप चुनाव हुआ. बीजेपी ने सुदेश महतो की आजसू से तालमेल करते हुए ये सीट छोड़ दी. आजसू उम्मीदवार सुनीता चौधरी ने कांग्रेस के प्रत्याशी बजरंग महतो को 21 हजार 644 वोट से शिकस्त दे दिया.
हेमंत सोरेन फेल
दरअसल हेमंत सोरेन ने रामगढ़ उपचुनाव को अपनी निजी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया था. उन्होंने रामगढ़ में जिस तरीके से ताबड़तोड सभा की और उनमें जो बयान दिये उससे यही साबित हुआ कि इस सीट का रिजल्ट ये बतायेगा कि वे जनता की नजर में फेल हैं या पास. हेमंत सोरेन रामगढ़ की अपनी चुनावी सभाओं में सारे कार्ड खेले. अपनी उपलब्धियां गिनायीं, सहानुभूति कार्ड खेला. सीएम ने कहा कि उनको आदिवासी होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
वे लोगों को बताते रहे कि बीजेपी ने साजिश कर नियोजन नीति को रद्द कराया और स्थानीयता विधेयक का वापस लौटाया. हेमंत सोरेन इतने बेचैन थे कि जनसभाओं में वे अपशब्दों पर भी उतर आये. एक सभा में उन्होंने विपक्षियों के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया तो दूसरी सभा में बीजेपी और आजसू को कसाई बता डाला. उन्होंने अपने तरकश के सारे तीर निकाल दिये लेकिन जनता नहीं पिघली. हद तो ये कि कांग्रेसे के उम्मीदवार बजरंग महतो का दूधमुंहा बच्चा भी चुनावी रैलियों में नजर आए और सीएम ने सहानुभूति कार्ड जमकर खेला लेकिन वह भी बेअसर साबित हुआ.
मजबूत हुई बीजेपी
रामगढ़ उप चुनाव ने झारखंड में बीजेपी की मजबूती का साफ संकेत भी दे दिया. दरअसल भाजपा ने पहले ही ये एलान कर दिया था कि रामगढ़ का चुनाव ये बता देगा कि हेमंत सोरेन के पैरों तले से सियासी जमीन खिसक गयी है. भाजपा ने बेलगाम भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को जमकर उठाया. पूजा सिंघल, पंकज मिश्रा, प्रेम प्रकाश और ग्रामीण कार्य विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को लेकर भी भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार को घेरा. आजसू और भाजपा के नेता सीधे मुख्यमंत्री पर भ्रष्ट होने का आऱोप लगाते रहे. जनता ने बीजेपी के एजेंडे को स्वीकार किया.
रामगढ़ उप चुनाव में बीजेपी और आजसू दोनों पार्टियां एक साथ आयी. इसका भी बडा असर पड़ा. भाजपा-आजसू गठजोड़ के सामने जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी का गठजोड़ फेल हुआ. अब मैसेज ये गया है कि बीजेपी और आजसू का गठबंधन इतना मजबूत हो गया है आगे आने वाले चुनावों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला कुनबा उसके सामने नहीं टिकेगा.
युवाओं में भारी नाराजगी
फर्स्ट झारखंड की टीम ने रामगढ़ उप चुनाव के प्रचार के दौरान ही वहां के लोगों का मूड जाना था. लगभग सभी वर्ग के युवाओं में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश दिखा था. युवाओं का कहना था कि हेमंत सोरेन हर साल 5 लाख रोजगार के वादे के साथ सत्ता में आए थे. उन्होंने अपने घोषणापत्र में इसका जिक्र किया था. उनकी सरकार बने 3 साल से ज्यादा हो चुका है और सिर्फ 857 नौकरी मिली है. हेमंत सोरेन सरकार ने नयी नियोजन नीति बनाई लेकिन वह हाईकोर्ट से रद्द हो गया. इसके कारण 13 हजार से ज्यादा नियुक्तियां रद्द हो गई. रामगढ़ उपचुनाव में प्रचार के दौरान युवा रोजगार को लेकर सरकार से भारी नाराजगी जाहिर करते रहे.
UPA में भगदड़ के आसार
राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि अब हेमंत सोरेन सरकार के सामने सबसे बड़ा खतरा आने वाला है. ये जगजाहिर है कि सत्ता में शामिल दलों के कई विधायक पहले से ही बीजेपी के संपर्क में रहे हैं. झारखंड में ऑपरेशन लोटस की भी चर्चा थी लेकिन कांग्रेस के तीन विधायकों की गिरफ्तारी के बाद वह टल गया था. लेकिन अब फिर कांग्रेस ही नहीं बल्कि जेएमएम में भी भगदड़ मचने के आसार दिखने लगे हैं.
कांग्रेस के एक विधायक ने फर्स्ट झारखंड से ऑफ द रिकार्ड बात करते हुए कहा कि अगले साल चुनाव होना है और अब यही लग रहा है कि अगर मौजूदा गठबंधन से चुनाव लड़े तो सीट गंवानी होगी. वैसे हम अभी भी इंतजार करेंगे हेमंत सोरेन अपनी गलतियों को सुधारें. लेकिन इसके आसार कम ही हैं. ऐसे में विधायक अपने लिए वैसी पार्टी या गठबंधन से टिकट चाहेंगे जिसके सहारे जीत हासिल हो सके. कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि सरकार का साथ दे रहे करीब दो दर्जन विधायक बेचैनी में हैं.
फिलहाल बीजेपी तैयार नहीं
राजनीतिक जानकार ये भी बता रहे हैं कि झारखंड में अभी हेमंत सरकार चलती रहेगी तो इसका श्रेय बीजेपी को जाना चाहिये. बीजेपी हेमंत सोरेन को शहीद नहीं बनाना चाहती. पार्टी नेताओं का एक ग्रुप जरूर ये चाहता है कि सरकार को गिराया जाये. लेकिन बाबूलाल मरांडी समेत पार्टी का आलाकमान इसके लिए राजी नहीं है. बीजेपी ये मान रही है कि 2024 में हेमंत सोरेन की सरकार खुद चली जायेगी. हेमंत सोरेन के खिलाफ लोगों की नाराजगी का फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ साथ उसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा. लिहाजा अभी सरकार को गिराने की कोई जरूरत नहीं है. शायद बीजेपी की यही रणनीति हेमंत सोरेन सरकार को बचाये रखेगी.