PATNA : 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने बिहार में बहार है वाला नारा दिया था। 'बिहार में बहार है.. नीतीशे कुमार है' जेडीयू ने महागठबंधन को इसी नारे के साथ जीत दिला दी थी। नीतीश कुमार के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ऐसा नारा गढ़ा की यह सबकी जुबान पर छा गया।
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वक्त बदला और वक्त के साथ-साथ नीतीश कुमार की सियासत की बदली। जेडीयू ने पहले महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया और फिर वह बीजेपी के साथ एनडीए की खेमे में आ गया। बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं लेकिन उसके पहले सूबे में गिरती कानून व्यवस्था सहित अन्य मुद्दे सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। शायद जेडीयू को भी अब इस बात का एहसास होने लगा है कि बिहार में बहार है वाला नारा उसे आगामी चुनाव में भारी पड़ सकता है। लिहाजा अब इस नारे से किनारा कर नया स्लोगन कर लिया गया है।
बिहार में बहार की बजाय जेडीयू को अब सच्चे और अच्छे नीतीश कुमार के चेहरे से ही उम्मीदें दिख रही हैं जेडीयू के नारे में आए इस बदलाव का असर अब पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर भी दिखने लगा है जेडीयू कार्यालय पर लगे पुराने बैनर और पोस्टर हटा लिए गए हैं और अब नए नारों में लिखा गया है... क्यों करें विचार, ठीके है तो है नीतीश कुमार। अब इंतजार इस बात का है कि जेडीयू के इस नए नारे का असर बिहार की जनता पर किस हद तक पड़ता है।
पटना से राहुल ओझा की रिपोर्ट