PATNA : बिहार में शराबंदी कानून को लेकर अब बगावत के सुर उठने लगे हैं। विरोधी तो विरोधी अब सत्ता पक्ष के सहयोगियों द्वारा अब इसे वापस लेने की मांग उठने लगी है। जब से जीतन राम मांझी ने यह कहा कि शराबंदी कानून को वापस किया जाना चाहिए,उसके बाद अब हर रोज सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा इसको लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया गया है। इसी कड़ी में अब जदयू के तरफ से इसको लेकर बड़ी बात कही गई है। जदयू के नेताओं ने कहा कि जो शराब पीने के आदि हैं, वहीं इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
पूर्व जदयू विधायक मंजीत सिंह ने कहा कि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांधी जी के विचारों और सिद्वान्तों पर चलने वाले नेता हैं। इसलिए उन्होंने शराबंदी करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में जबसे शराबबंदी कानून लागु हुआ है तबसे जिन लोगों ने शराब का सेवन किया वो सलाखों के पीछे गए। वहीं, जिन्होंने इसका अवैध कारोबार किया उनको भी गिरफ्तार किया गया, इस धंधा में शामिल कई वाहनों को भी जप्त कर लिया गया। इसलिए इसके बाबजूद भी जो लोग इसके खिलाफ बयान दे रहे हैं वो लोग निश्चित रूप से शराब का सेवन करते होंगे और अब उनको तकलीफ हो रही होगी।इन्होनें कहा कि राज्य के करोड़ों लोगों ने शपथ लिया था कि न हम शराब पिएंगे और न ही हम शराब पीने देंगे, वैसे लोगों को इसके बारें में तो कम से कम नहीं बोलना चाहिए। चाहे वो सत्ता पक्ष के नेता हो या फिर विपक्ष के नेता। बिहार में शराबंदी कानून लागु हैं और जबतक नीतीश कुमार रहेंगे तबतक इसे वापस नहीं लिया जाएगा।
वहीं, राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि जो लोग शराब चालू करने के पक्ष में बयान दे रहें हैं वो लोग जरूर इसके आदतन होंगे। बिहार में शराब बंद है और यह बंद ही रहेगा। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कबूल किया कि यह कानून टूट तो रहा है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इसे वापस ले लिया जाए। इसको लेकर वहीं सवाल करते हैं, जिन्हें शाम में अपनी पार्टी करने में समस्या आती है। उन्होंने कहा कि हम सभी लोगों से निवेदन करना चाहते हैं कि इस तरह के बयानों से परहेज करें और इस कानून का समर्थन करें।